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कश्‍मीर में अब पटरी पर लौटने लगी जिंदगी...

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर , सोमवार, 15 सितम्बर 2014 (18:27 IST)
श्रीनगर। कश्मीर में बाढ़ग्रस्त इलाकों में कई मोर्चों पर अब तेजी से काम होने लगा है। लोगों को सुरक्षित निकालने के साथ-साथ पानी को निकालने का काम भी तेज हो गया है। राज्य सरकार ने भी बिना छुट्टी के सचिवालय कार्यालयों को चलाने की घोषणा कर दी है। ग्यारह दिनों के बाद रेल सेवा भी आंशिक रूप से चालू हो गई हैं। हालांकि अभी भी लाखों लोग बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं पर अब सबसे अधिक चिंता का विषय मृत जानवरों को ठिकाने लगाने के साथ-साथ लापता लोगों की तलाश का है जिनके प्रति शंका है कि वे मलबे और मिट्टी के बीच दफन हो चुके हैं।
श्रीनगर के बाढ़ प्रभावित राजबाग और जवाहर नगर क्षेत्रों में पानी को बाहर निकालने का जबर्दस्त अभियान शुरू कर दिया गया है। इसमें तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) द्वारा उपलब्ध कराए गए दो हैवी ड्यूटी पंपों सहित लगभग 30 वाटर पंप लगाए गए हैं। पानी निकालने के अभियान पर नजर रख रहे गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि राजबाग और आसपास के इलाकों से पानी निकालने के लिए हमने करीब 30 वाटर पंप लगाए हैं। 
 
पिछले पांच दिनों में झेलम नदी में पानी का स्तर काफी कम हुआ है जिससे अधिकारी पानी निकालने का अभियान शुरू करने में सफल हुए हैं। अग्निशमन और आपातकालीन विभाग ने बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित राजबाग, जवाहर नगर, गोग्जीबाग और इखराजपुरा इलाकों से पानी बाहर निकालने के लिए करीब 20 दमकल गाड़ियां लगाई हैं।
 
लाखों सुरक्षित निकाले : बाढ़ के कहर से जूझ रहे राज्य में सशस्त्र बलों और राष्ट्रीय आपदा राहत बल एनडीआरएफ की मदद से अब तक दो लाख 26 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। जबकि स्थानीय लोगों द्वारा भी अपने स्तर पर करीब एक लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है। बाढ़ का पानी अब घटना शुरू हो गया है, लेकिन इसके साथ ही दूषित पानी से फैलने वाली बीमारियों के होने की आशंका बढ़ गई है। 
 
यही वजह है कि साफ पानी की मांग बढ़ गई है। प्रतिदिन चार लाख लीटर पानी साफ करने में सक्षम 20 आरओ हैदराबाद से आज श्रीनगर पहुंचाए जा रहे हैं। इसी तरह दिल्ली से भी चार आरओ वहां पहुंचाए जा रहे हैं, जिनकी क्षमता प्रतिदिन एक लाख लीटर पानी साफ करने की है।
 
कपड़ा मंत्रालय रेड क्रास सोसाइटी तथा झारखंड और पंजाब सरकार द्वारा दान किए गए 33 हजार कंबलों को आज बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचाया जा रहा है। वायुसेना की एक त्वरित कार्रवाई चिकित्सा टीम को अवंतीपुर और श्रीनगर में तैनात किया गया है। यह टीम अभी तक 2684 मरीजों का इलाज कर चुकी है। दिल्ली अराकोणम और अमृतसर से और राहत सामग्री को श्रीनगर भेजा जा रहा है।
 
बाढ़ पीड़ितों को 8200 कंबल और 1572 तंबू वितरित किए गए हैं। सेना की मेडिकल कोर की 80 टीमें बाढ़ पीडितों के इलाज में जुटी हैं। सेना के चार फील्ड हास्पिटल में अब तक 53082 लोगों का इलाज किया जा चुका है। श्रीनगर में दो और ऐसे अस्पताल स्थापित किए गए हैं। सेना और वायुसेना के हेलीकाप्टरों और विमानों ने अब तक 2451 उड़ानें भरी हैं। वायुसेना ने 3435 टन राहत सामग्री गिराई है। सेना की 224 और एनडीआरएफ की 148 नावें राहत कामों में जुटी हैं। सेना ने बाढ़ पीड़ितों के लिए श्रीनगर और जम्मू क्षेत्र में 19 राहत शिविर स्थापित किए हैं। इस बीच मौसम विभाग ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में बारिश होने की संभावना नहीं है, लेकिन आसमान में बादल छाए रहेंगे।
 
कश्मीर में रेल चली : ग्यारह दिन तक ट्रेन सेवाओं के बाधित रहने के बाद रेलवे ने कश्मीर घाटी में बाढ़ से प्रभावित रेल मार्गों को बहाल कर सोमवार से ट्रेन सेवाएं आंशिक रूप से शुरू कर दीं। उत्तर रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक श्रीनगर और बारामुल्ला के बीच चार जोड़ी डीएमयू रेलगाड़ियों ने परिचालन शुरू कर दिया है। पहली रेल गाड़ी बड़गाम से दोपहर बारह बजे बारामुला के लिए रवाना हुई। इसकी वापसी सेवा श्रीनगर से चलेगी।
 
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी के बाकी हिस्सों में भी रेल यातायात को बहाल करने का काम पूरी तेजी से चल रहा है। रेलवे के इंजीनियर तथा अन्य कर्मियों का प्रयास है कि शीघ्र ही रेल सेवाएं बहाल कर दी जाएं। अधिकारी ने बताया कि भारी वर्षा के कारण आई बाढ़ के चलते रेल लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई थीं, जिसके चलते ट्रेन सेवाएं बाधित हो गई थीं। कुछ स्थानों पर रेल लाइनों और रेल परिसरों के निकट बाढ़ प्रभावित लोगों ने पनाह ले ली थी। उत्तर रेलवे ने बाढ़ प्रभावित जम्मू कश्मीर में फंसे लोगों को सहायता पहुंचाने के लिए अनेक उपाय किए हैं, जिनमें कटरा, उधमपुर और जम्मू से देश के विभिन्न हिस्सों के लिए विशेष ट्रेनें चलाना और नियमित ट्रेन सेवाओं में अतिरिक्त डिब्बे जोड़ना शामिल है।
 
नवरात्र महोत्सव नहीं होगा : बाढ़ के कारण उपजी परिस्थितियों में एक बुरी खबर यह है कि शारदीय नवरात्र पर धर्म नगरी कटड़ा में नवरात्र महोत्सव में इस बार पहले जैसे धूम-धड़ाका नहीं होगा। बाढ़ से हुए जानमाल के नुकसान से छाए मातम को देखते हुए प्रशासन ने इस बार पूजा-अर्चना तक ही सीमित रखने का मन बनाया है।
 
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, इस बार नवरात्र के दौरान कटरा में रोजाना आयोजित होने वाली शोभायात्रा भी नहीं निकाली जाएगी। नवरात्र महोत्सव के मुख्य आकर्षण अखिल भारतीय भेंट प्रतियोगिता को भी इस बार आयोजित नहीं किया जाएगा। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर के दंगल के आयोजन को टालने के साथ कटरा में आयोजित होने वाले लगभग हर उस कार्यक्रम को टाला जा रहा है, जो महोत्सव की पहचान है। शारदीय नवरात्र के दौरान हालांकि कटरा में रामायण पाठ व श्री माता वैष्णोदेवी भवन पर हवन-यज्ञ का आयोजन सुचारु रूप से किया जाएगा।
 
नवरात्र के दौरान कटरा के अलावा जम्मू में भी कई विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं, लेकिन इस बार जम्मू में भी नवरात्र महोत्सव नहीं मनाया जाएगा और यहां भी कोई विशेष आयोजन नहीं होगा। नवरात्र महोत्सव के आयोजन को लेकर हालांकि पर्यटन विभाग ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और महोत्सव आयोजन कमेटी के चेयरमैन जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर शांतमनु से विभाग की बैठक अगले सप्ताह होने की संभावना है।


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