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कार्यकारिणी बैठक में आडवाणी ने नहीं दिया भाषण

हमें फॉलो करें कार्यकारिणी बैठक में आडवाणी ने नहीं दिया भाषण
बेंगलुरु , शनिवार, 4 अप्रैल 2015 (19:33 IST)
बेंगलुरु। केन्द्र में सत्तारुढ़ भाजपा में बदलते समीकरणों की झलक यहां पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में देखने को मिली, जहां अलग-थलग पड़े वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का मार्गदर्शन संबोधन इस बार नहीं हुआ, जबकि आमतौर पर ऐसी बैठकों के अंत में उनका संबोधन होता रहा है।
 
पार्टी की ओर से ऐसा कोई बयान नहीं आया है कि उन्होंने शनिवार को समाप्त हुई बैठक को क्यों संबोधित नहीं किया लेकिन ऐसी अटकलें हैं कि वे इसको लेकर उत्सुक नहीं थे क्योंकि उनसे अपना भाषण दिखाने को कहा गया था। शीर्ष नेतृत्व में इस बात की आशंका थी कि वे आलोचना कर सकते हैं। पार्टी में धीरे-धीरे हाशिए पर डाल दिए गए आडवाणी दो दिन चली बैठक में मौजूद थे। उन्होंने 2013 में गोवा में हुई बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। उस बैठक में नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की प्रचार अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया था।
 
बैठक को आडवाणी के नहीं संबोधित करने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा, फैसला करने की आंतरिक व्यवस्था के बारे में हम मीडिया में चर्चा नहीं कर सकते हैं। पार्टी का कार्यक्रम हम कैसे निर्धारित करते हैं, उसे आरटीआई और पारदर्शिता की दुनिया में भी हम आपके साथ साझा नहीं कर सकते।
 
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन के बाद इस मुद्दे को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए जेटली ने कहा कि आडवाणी एक वरिष्ठ नेता हैं और वे किसी भी समय, उनकी जब भी इच्छा होगी, किसी भी मंच पर पार्टी का मार्गदर्शन कर सकते हैं। इस मामले पर विभिन्न खबरों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, जो कुछ भी व्यवस्था हम करते हैं, हम सब इसे साथ मिलकर करते हैं। 
 
आडवाणी की 1990 के दशक में पार्टी को आगे बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है और उनके मोदी के साथ असहज संबंध हैं। आडवाणी ने मोदी को पार्टी की प्रचार अभियान समिति का प्रमुख और लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था।
 
इसी वजह से उन्होंने 2013 में गोवा में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था और विरोध स्वरूप पार्टी के सभी पदों से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्होंने इसे वापस ले लिया था। उन्हें पार्टी संसदीय बोर्ड में भी जगह नहीं दी गई थी और लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था।
 
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आडवाणी उनके सर्वाधिक वरिष्ठ और सम्मानित नेता हैं और वे हमारे साथ हैं और सर्वाधिक सम्मानित मार्गदर्शक बने रहेंगे। (भाषा)

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