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भारतीयों की प्लेट में ऐसे आई मैगी

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दो मिनट में तैयार होने वाली मैगी! पानी गर्म किया मैगी का पैकेट खोलकर गर्म पानी में मिलाया, मसाला मिलाया और गर्मागर्म मैगी तैयार। भारत में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जो ‍इस फटाफट नूडल्स से अनजान हो। बच्चों से लेकर बड़े तक सभी की जुबान पर मैगी का स्वाद लगा हुआ है, लेकिन इन दिनों लोगों को मैगी का स्वाद 'कड़वा' लग रहा है। 
उत्तरप्रदेश के फूड सेफ्टी एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मैगी की जांच में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) और लैड (सीसा) की भारी मात्रा पाई गई है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मैगी में मोनोसोडियम ग्लूमेट (Monosodium glutamate) मिला होता है जो आपके शरीर में खुद बन सकता है। इसे एमएसजी भी कहा जाता है। एमएसजी कई विकृतियां पैदा कर सकता है जिसमें स्कीन प्रॉब्लम, खुजलाहट, उल्टी, अस्थमा और कई अन्य हृदय संबंधी रोग हो सकते हैं। मैगी के लिए उपयोग में लाई जाने वाली एमएसजी चुकंदर से बनती है।
 
इसके बाद तो देश के राज्यों में धड़ाधड़ मैगी बैन होने लगी, इतना ही नहीं मैगी का विज्ञापन करने वाले बड़े बॉलीवुड स्टार्स भी मुश्किलों में आ गए। स्विट्‍जरलैंड की कंपनी नेस्ले की यह मैगी भारतीयों की प्लेट तक कैसे पहुंची। मैगी की खोज कैसे हुई? आइए जानते हैं?  
अगले पन्ने पर, किसके लिए बनी थी मैगी...
 
 
 

मैगी एक इंटरनेशनल ब्रांड है जि‍से नेस्‍ले ने 1947 में खरीदा था। वास्‍तव में इसकी शुरुआत 1872 में जूलि‍यस मैगी ने की थी। स्विट्‍जरलैंड की औद्योगिक क्रांति से मैगी की शुरुआत हुई। वहां की महिलाओं का ज्यादातर वक्त फैक्टरियों में काम करते ही बीत जाता था। इस कारण उन्हें खाने बनाने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
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इस परेशानी के हल के लिए स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसायटी ने 1872 में जूलियस मैगी से संपर्क किया। उन्होंने जूलियस से ऐसा खाद्य पदार्थ बनाने का कहा जो कम समय में बन सके और पौष्टिक भी हो। इसे ध्यान में रखकर जूलियस ने पहले प्रोटीनयुक्त लेग्यूम आहार को बाजार में लाए और फिर आगे इसी कंपनी ने सूप और नूडल्स जैसे खाद्य पदार्थों की शुरुआत की। जूलियस ने 1863 में फार्मूला तैयार किया था जिससे खाने में टेस्ट लाया जा सके। 
 
उस वक्‍त यह ब्रांड मैगी नूडल्‍स, मैगी क्‍यूब और मैगी सॉस के लि‍ए प्रचलि‍त था। जूलि‍यस मैगी ने जर्मनी के सिंजेन शहर में मैगी जीएमबीएच नाम से कंपनी शुरू की जो आज भी मौजूद है। साल 1947 में इसके मालि‍काना हक और कॉर्पोरेट स्‍ट्रक्‍चर में बदलाव आए। अंत में मैगी का नेस्‍ले ने अधिग्रहण कर लिया और उस कंपनी का नाम नेस्‍ले एलि‍मेनटाना रखा।
अगले पन्ने पर, ऐसे पहुंची भारत...
 
 

भारत में मैगी 1980 के दशक में आई। नेस्ले इंडिया ने मैगी ब्रांड के अंतर्गत नूडल्स बाजार में लाए। शुरुआत में मैगी केवल नाश्ते का विकल्प थी। वह उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद थी जो लोग शहरों में रहते थे। भारत में उस समय किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा अपना प्रॉडक्ट बाजार में उतारना किसी जोखिम से कम नहीं था लेकिन नेस्ले ने ये जोखिम मैगी के लिए उठाया।
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वैसे तो नेस्ले के कई प्रॉडक्ट्स भारत में पहले से मौजूद थे। कॉफी, चॉकलेट और मिल्क पाउडर जैसे प्रॉडक्ट लोगों के बीच अपना भरोसा बना चुके थे लेकिन मैगी के लिए लोगों में भरोसा बढ़ा पाना मुश्किल था। मैगी को भारत में प्रचलित करने के लिए नेस्ले इंडिया को काफी मशक्कत करनी पड़ी। मैगी की शुरुआती दौर में वहीं कंपनी ने वही नूडल्स बाजार में उतारे जो बाकी देशों में प्रचलित थे।
 
लेकिन इसके साथ कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा था। लोगों की बदलती रोजमर्रा की जिंदगी के साथ खाने की आदतों में भी बदलाव आ रहा था। 1991 के बाद आर्थिक उदारीकरण के दौर में बाजारों के दरवाजे पूरी दुनिया के लिए खुल गए इससे मैगी को भी लाभ हुआ।
अगले पन्ने पर, सालाना ब्रिकी 1000 करोड़ रुपए
 
 

आंकड़ों के मुताबिक भारत में मैगी की सालाना बिक्री 1000 करोड़ रुपए के पार पहुंच चुकी है। मैगी के अंतर्गत कई और प्रॉडक्ट लांच किया जिनमें, सूप, मैगी कप्पा भुना मसाला, मैनिया इंस्टैंट शामिल हैं। 
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मैगी के 90 प्रतिशत प्रॉडक्ट भारत की संस्कृति को ध्यान में रखकर उत्पादित किए जाते हैं जो बाकी दुनिया में कहीं नहीं मिलते। भारत में नेस्ले के पूरे मुनाफे में मैगी करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदार है। मैगी के 90 प्रतिशत उत्पाद भारत को केंद्र में रख कर बनाए जाते हैं। मैगी ब्रांड के तहत कई अन्य ब्रांड भी आए हैं, लेकिन वे भारत में इतनी ज्यादा प्रसिद्धि नहीं पा सके। 

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