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रिश्वत लेने वाले बड़े नामों का पता लगा रहे हैं : पर्रिकर

हमें फॉलो करें रिश्वत लेने वाले बड़े नामों का पता लगा रहे हैं : पर्रिकर
नई दिल्ली , शुक्रवार, 6 मई 2016 (16:17 IST)
नई दिल्ली। विवादास्पद अगस्तावेस्टलैंड सौदे को लेकर पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को कहा कि तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार ने अगस्तावेस्टलैंड को हेलीकॉप्टर का ठेका देने के लिए हर तरह की रियायत दी और पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, गौतम खेतान तो 'बहती गंगा' में हाथ धोने वाले छोटे नाम हैं, हम बड़े नामों का पता लगा रहे हैं जिन्होंने रिश्वत ली।

 
लोकसभा में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा 2013 में कथित अनियमितताओं के बारे में कोर्ट ऑफ अपील मिलान, इटली द्वारा हाल ही में किए गए खुलासे के बारे में रक्षामंत्री ने अपने बयान में कहा कि मौजूदा जांच उन पर केन्द्रित होगी जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है।
 
पर्रिकर ने कहा कि शर्तो में हेलीकॉप्टर के केबिन की ऊंचाई 1.8 मीटर करने की शर्त अनिवार्य रूप से डाली गई और यह जान-बूझकर किसी कंपनी को बाहर करने के उद्देश्य से किया गया। इस शर्त के कारण वेंडर आधार सिकुड़ गया। इसके साथ ही अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर दो मानदंडों को पूरा नहीं किया, फिर भी विशेष तौर पर उसे छूट दी गई। 
 
उन्होंने कहा कि निविदा दस्तावेज एक कंपनी को दिए गए, जबकि निविदा दस्तावेज दूसरी कंपनी ने भरे। तब की सरकार ने भ्रष्टाचार का मामला आने के बाद कंपनी को लिखने की बजाए उच्चायोग से संपर्क किया। इस सौदे में 50.7 मिलियन यूरो की बैंक गारंटी की राशि अभी भी अटकी पड़ी हुई है।
 
कांग्रेस एवं गांधी परिवार पर परोक्ष निशाना साधते हुए पर्रिकर ने कहा कि हमने पहले ही कदम उठाया है। अभी जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, वे छोटे लोग हैं। त्यागी, खेतान ने तो बहती गंगा में हाथ धो लिया। हम यह पता लगा रहे हैं कि गंगा कहां जाती है। 
 
कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बीच अपना प्रहार जारी रखते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि मैंने किसी के ऊपर कोई आरोप नहीं लगाए। किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन जो अरबी खाते हैं, उनके गले में ही खुजली होती है। इन्हें (कांग्रेस) पता है कि गंगा कहां बहकर जाती है।
 
रक्षामंत्री ने कहा कि अगर फिनमैकेनिका के सीईओ को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तत्कालीन संप्रग सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है। इस बारे में तत्कालीन सरकार ने जो कार्रवाई की, वह परिस्थिति के कारण मजबूरी में की गई कार्रवाई थी। (भाषा)


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