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क्या है CBSE की मॉडरेशन पॉलिसी, जानिए पूरा मामला

हमें फॉलो करें क्या है CBSE की मॉडरेशन पॉलिसी, जानिए पूरा मामला
, गुरुवार, 25 मई 2017 (16:40 IST)
मॉडरेशन पॉलिसी को लेकर घमासान बढ़ गया है। इस घमासान के बीच सीबीएसई 12वीं का रिजल्ट भी अटक गया है। पॉलिसी पर मचे घमासान से अब कई छात्रों का भविष्य अधर में है, क्योंकि रिजल्ट देर से घोषित होने से उन्हें नया प्रवेश लेने में भी परेशानी होगी। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इसे खत्म करने का फैसला किया है, वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फैसले पर इस वर्ष रोक लगा दी है। अब मानव संसाधन विभाग इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबकी नजर है। आखिर मॉडरेशन पॉलिसी क्या है और इस पर इतना घमासान क्यों मचा है। जानिए पूरा विवाद। 
 
एक नजर प्रमुख बिंदुओं पर- 
  •  मॉडरेशन पॉलिसी से अटका 12वीं के छात्रों का रिजल्ट।
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- बीच खेल में लागू नहीं कर सकते नियम। 
  •  सरकार का तर्क, मॉडरेशन पॉलिसी की आड़ में संस्थान सुधारते हैं अपना रिजल्ट
  •  अब नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर।
 
क्या है मॉडरेशन पॉलिसी : अगर इसे सरल शब्दों में कहा जाए तो परीक्षा परिणाम में छात्रों को अतिरिक्त अंक देना मॉडरेशन पॉलिसी है। मॉडरेशन पॉलिसी के तहत छात्रों को मुश्किल सवालों के लिए ग्रेस मार्क्स दिए जाते रहे है। इसी के साथ अगर परीक्षा पेपर में कोई सवाल गलत होता है तब भी मॉडरेशन पॉलिसी के तहत स्टूडेंट्स को मार्क्स दिए जाते हैं। सीबीएसई के अलावा भी कई बोर्ड मॉडरेशन पॉलिसी के तहत स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स देते हैं। मॉडरेशन पॉलिसी की सहायता से छात्र को अच्छे नंबर लाने में सहायता मिलती है।
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कैस मिलते हैं ग्रेस मार्क्स : हर साल सीबीएसई प्रश्न पत्र के तीन सेट डिजाइन करता है। इन तीनों सेट में से एक सेट सबसे मुश्किल होता है। हर साल मुश्किल प्रश्नों को लेकर सीबीएसई के पास शिकायतें आती हैं। इन शिकायतों से निपटने के लिए सीबीएसई रिव्‍यू कमेटी बनाता है। अगर रिव्यू कमेटी को लगता है कि क्वेश्चन पेपर ज्यादा मुश्किल था, तब इस आधार पर स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स दिए जाते हैं।
 
क्यों हुआ विवाद : एक अभिभावक और वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया कि यह नीति इस साल की परीक्षा के बाद नोटिफिकेशन से बदली गई है। इस फैसले का छात्रों पर उल्टा असर पड़ेगा। 
 
सरकार का तर्क और कोर्ट का फैसला : सरकार का कहना है कि वह ग्रेस मार्क्स के खिलाफ नहीं है, लेकिन मॉडरेशन पॉलिसी की आड़ में कई संस्थान अपना रिजल्ट सुधारने के लिए बच्चों को अतिरिक्त अंक दे देते हैं, वहीं बड़ी संख्या में पालकों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इस साल यह नीति जारी रखने को कहा है, ताकि कमजोर बच्चों का रिजल्ट प्रभावित न हो।
 
कोर्ट का निर्देश, ऐसे नहीं बदला जा सकता है फैसला : दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीबीएसई को निर्देश दिया कि वह मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने के अपने फैसले को इस साल लागू नहीं करे। कोर्ट ने कहा कि सीबीएसई ने स्टूडेंट्स के एग्जाम देने के बाद मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला किया है। ये स्टूडेंट्स के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है। नियम खेल के शुरू होने के बाद नहीं बदला जा सकता। अदालत ने कहा कि यह निर्देश दिया जाता है कि सीबीएसई अपनी घोषित नीति का पालन करेगी, इसमें मॉडरेशन पॉलिसी भी शामिल है जो उस वक्त प्रचलन में थी जब बच्चों ने परीक्षा दी थी।
 
32 बोर्डों ने लिया था फैसला : मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अप्रैल में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सीबीएसई और कई राज्य के करीब 32 बोर्ड्स ने मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला लिया था। इसके बाद ही सीबीएसई ने मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म कर दिया। मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने के पीछे दिल्ली यूनिवर्सिटी की हाई कट-ऑफ को भी एक कारण बताया गया था। मॉडरेशन पॉलिसी के तहत मुश्किल एग्जाम्स में स्टूडेंट्स को 15 प्रतिशत तक ज्यादा अंक दिए जाते हैं। 
 
ठगा महसूस करते हैं मेहनती छात्र : मॉडरेशन पॉलिसी में कठिन प्रश्नों के बदले में अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं। इससे वे छात्र खुद को ठगा महसूस करते थे, जो मेहनत से पढ़ाई कर कठिन प्रश्नों को भी हल कर लेते हैं। कठिन प्रश्न के लिए सभी छात्रों को समान रूप से अतिरिक्त अंक दिए जाते थे, चाहे मेहनत करने वाले छात्र ने उन प्रश्नों को हल किया हो या कमजोर छात्र ने उन्हें छोड़ दिया हो।

सभी के साथ होगा न्याय : मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने 12वीं के छात्रों को आश्वस्त किया कि उनके परीक्षा परिणाम में देरी नहीं होगी और सभी के साथ न्याय होगा। मानव संसाधन विकास मंत्री का यह आश्वासन ऐसे समय में सामने आया है जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीएसई को कृपांक की नीति को समाप्त करने के निर्णय पर आगे नहीं बढ़ने का आदेश दिया है और इसके कारण छात्रों में अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
 
जावड़ेकर ने कहा कि परीक्षा परिणाम समय पर निकलेंगे और इसमें देरी नहीं होगी। सीबीएसई इस बारे में जल्द घोषणा करेगी। छात्रों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सभी के साथ न्याय होगा। बोर्ड इस बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जा सकता है। हालांकि सीबीएसई के अधिकारी इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कह रहे हैं।
 
कल मंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय किया गया है कि आगे कदम बढ़ाने से नहले बोर्ड कानूनी राय लेगी। एक सूत्र ने बताया कि कानूनी राय ली गई है और यह तय किया गया है कि इस आदेश को चुनौती दी जा सकती है।

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