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मोदी का सवाल, मैं बाहरी हूं तो सोनिया गांधी कौन हैं...

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मुजफ्फरपुर/गोपालगंज , शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2015 (17:32 IST)
मुजफ्फरपुर/गोपालगंज। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाहरी होने के नीतीश कुमार के ताने का जवाब देते हुए शुक्रवार को उनसे पूछा कि क्या वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी बाहरी कहेंगे। उन्होंने कहा कि वह किसी और देश के नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री हैं।
 
लालू प्रसाद के गृह जिले गोपालगंज में महागठबंधन को निशाने पर लेते हुए उन्होंने नीतीश कुमार से सवाल किया कि क्या वह जंगलराज के पुराने दिनों को वापस लाना चाहते हैं। साथ ही दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के आरक्षण कोटा में से पांच प्रतिशत एक समुदाय को देने की साजिश संबंधी अपने आरोप को दोहरा कर दावा किया कि खुद नीतीश कुमार ने 2005 में संसद में मुसलमानों के लिए सब कोटा की व्यवस्था करने की कथित तौर पर वकालत की थी।
 
गोपालगंज के बाद मुजफ्फरपुर की चुनावी सभा में उन्होंने कहा कि नीतीश बाबू कहते हैं कि मैं बाहरी हूं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि बिहार में मैं बाहरी कैसे हो सकता हूं जो कि भारत का अभिन्न अंग है और जहां की जनता ने मुझे प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में मतदान किया हो। क्या मैं पाकिस्तान का प्रधानमंत्री हूं? क्या मैं बांग्लादेश या श्रीलंका का प्रधानमंत्री हूं?
 
मोदी ने कहा कि मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि क्या वह मैडम सोनिया गांधी, जो कि दिल्ली में रहती हैं, उन्हें बाहरी कहेंगे? वह बाहरी हैं या बिहारी हैं? जो लोग अपने काम काज का ब्योरा नहीं दे सकते हैं वे लोगों को गुमराह करने के लिए इसी तरह के खेल खेलते हैं।
 
एक नवंबर को होने जा रहे बिहार विधानसभा के चौथे चरण के चुनाव के लिए प्रचार करते हुए उन्होंने महागठबंधन को निशाने पर लेते हुए विकास का मुद्दा उठाया और कहा कि केवल राज्य और केन्द्र का जुड़वां इंजन इस पिछड़े राज्य को उस गढ्ढे से बाहर निकाल सकते हैं जिसमें वह गिर गया है।
 
उन्होंने दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के आरक्षण कोटा में से पांच प्रतिशत ‘एक समुदाय’ को देने की साजिश संबंधी अपने आरोप को दोहराया और जदूय नेता नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने 24 अगस्त 2005 में संसद में दिए अपने भाषण में एक विशेष समुदाय को आरक्षण में कोटा देने की बात कही थी।
 
अगले पन्ने पर... मोदी ने नीतीश से मांगा जवाब...

प्रधानमंत्री ने कहा, 'मेरे पास दस्तावेज हैं कि अगस्त, 2005 को संसद में उन्होंने (नीतीश) क्या कहा था। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि अगर उनमें हिम्मत है तो इसका जवाब दें। वह इतने बड़े झूठ बोलते हैं और घटिया बातों में शामिल होते हैं। यह खेल ज्यादा दिन नहीं चलेगा।'
 
चुनाव के अंतिम चरणों में भाजपा की प्रचार रणनीति को विकास की बजाय जाति और समुदाय आधारित करने को सही ठहराते हुए मोदी ने कहा, 'क्या पिछड़े, अति पिछड़े और दलित का बेटा विकास की बात नहीं करे। आज कल वे कह रहे हैं कि मोदी ने चुनाव का प्रोफाइल बदल दिया। वे कह रहे हैं कि मोदी पहले विकास की बातें करता था लेकिन अब अपनी अति पिछड़ी जाति की पृष्ठभूमि के बारे में बातें कर रहा है।'
 
उन्होंने कहा, 'क्या सिर्फ आपको विकास की बातें करने का अधिकार है। यह उनका अहंकार है, जिसके चलते वे ऐसी बातें कर रहे हैं।' नीतीशजी व्यंग्य करते हैं कि ‘हमारे पुराने दिन ही हमें वापस लौटा दीजिए’। आप पुराने दिनों को याद करें, जब अपहरण रोजमर्रा की बात थी, महिलाओं को बेआबरू किया जाता था, दलितों का दमन होता था, चोरियां होती थीं। जंगलराज में क्या होता था। क्या उन्होंने इस इलाके गोपालगंज को मिनी जंगलराज में नहीं बदल दिया था।
 
मतदाताओं से उन्होंने कहा कि यहां रेलवे स्टेशनों पर अंधाधुंध गोलियां चला करती थीं। यहां केवल एक चीज हुआ करती थी, जो अपहरण था। क्या आप उन पुराने दिनों को वापस लाना चाहते हैं। नीतीशजी, सत्ता के लालच में पुराने दिन आप को स्वीकार्य हो सकते हैं लेकिन बिहार की जनता को नहीं।
 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा किए जाने संबंधी बयान पर महागठबंधन के नेताओं ने आरोप लगाया था कि भाजपा आरक्षण समाप्त करना चाहती है। इसके पलटवार में मोदी ने आरोप लगाया है कि महागठबंधन के नेता दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के आरक्षण में से पांच फीसदी ‘एक समुदाय’ को देना चाहते हैं।
 
अपने इस आरोप के प्रमाण के रूप में उन्होंने आज नीतीश के संसद में दिए गए उस बयान का हवाला दिया जिसमें कथित रूप से पसमादा मुसलमानों के लिए आरक्षण में सबकोटा की वकालत की गई थी। (भाषा)

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