Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

'786वीं कथा' मु्स्लिम देश में करना चाहते हैं मोरारी बापू

हमें फॉलो करें '786वीं कथा' मु्स्लिम देश में करना चाहते हैं मोरारी बापू
, रविवार, 7 फ़रवरी 2016 (18:33 IST)
नई दिल्ली। देश के प्रसिद्ध कथाकार मोरारी बापू को किसी पहचान की जरूरत नहीं है...। अपनी 'मानस रामकथा' के जरिए वे पूरी दुनिया में विख्यात हैं। नई दिल्ली में मोरारी बापू की महात्मा गांधी की समाधि 'राजघाट' पर 9 दिवसीय रामकथा का रविवार की दोपहर में समापन हुआ। कथा के दौरान उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि यदि मेरी '786वीं रामकथा' किसी मुस्लिम राष्ट्र में होगी तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। मेरा मन तो कई सालों से पाकिस्तान में कथा करने का है। यदि मुझे पाकिस्तान में कथा करने का मौका मिला तो मैं नंगे पैर जाऊंगा, यह मेरा वादा है। 
आमतौर पर 'राजघाट' पर कोई सार्वजनिक आयोजन की अनुमति नहीं है लेकिन मोरारी बापू की कथा के आयोजनकर्ताओं को अनुमति मिल गई। बापू ने 30 जनवरी से 7 फरवरी तक आयोजित इस कथा का नाम दिया 'मानस राजघाट कथा'। अहिंसा के पुजारी गांधीजी के समाधि स्थल पर रामकथा का पारायण करके खुद बापू भी अभिभूत हो गए। 9 दिवसीय कथा के दौरान कई प्रसंगों पर भावुक होकर उनकी आंखें भी छलछला उठीं।
 
कथा के दौरान हुए इंडो-पाक मुशायरे का जिक्र छेड़ते हुए मोरारी बापू ने कहा कि दोनों मुल्कों के लोगों को करीब लाने के लिए बहुत हो गई सियासत और अन्य चीजें लेकिन दिलों में अभी भी दूरियां बाकी हैं। यदि सरकार की अनुमति मिलती है और पाकिस्तान के लोग रामकथा करना चाहते हैं तो मैं नंगे पैर वहां जाकर मानस रामकथा के जरिए अपने राम को वहां ले जाना चाहता हूं।
 
मोरारी बापू ने कहा कि मेरी अब तक कितनी कथा हो चुकी है, इसका मैं हिसाब नहीं रखता... फिर उन्होंने अपने साथियों से संख्या पूछी... उन्हें बताया गया कि 780 से ज्यादा हो चुकी हैं कथा, तब बापू ने कहा कि 786 का अंक मुस्लिमों के लिए बहुत पवित्र माना जाता है और यदि मेरी 786वीं मानस रामकथा किसी मुस्लिम देश में होती है तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। 
 
बापू ने यह भी बताया कि उनके गृह नगर में एक बार मुस्लिमों ने एक तकरीर रखी और मुझे भी न्योता दिया। वहां पर एक मौलवी थे जिन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आप हमारे मुस्लिम भाइयों को राम मंदिर में जाकर नमाज पढ़ने की अनुमति देंगे? 
 
रात का वक्त था और 11 बजे से ज्यादा का समय हो गया था। मैंने कहा यूं तो हमारे मंदिरों में शयन आरती के बाद भगवान को सुलाने की परंपरा है और ऐसा मंदिर वाले कर भी चुके होंगे लेकिन यदि आप कहते हैं तो मेरी एक आवाज पर मंदिर दोबारा खोल दिए जाएंगे और वहां नमाज अदा करने की अनुमति भी मिल जाएगी। आपको इबादत करने में कोई बाधा नहीं आएगी लेकिन मेरी भी एक बात माननी होगी कि कल सुबह मेरे रामभक्त ढोल-धमाकों के साथ आपकी मस्जिद में आएंगे तो आप उन्हें भी वहां पूजा करने देंगे। 
 
मेरी बात सुनकर मौलवी सोच में पड़ गए और बोले मैं सोचकर इसका जवाब दूंगा। महीनों हो गए लेकिन मौलवी साहब का जवाब आज तक नहीं आया है। बापू ने इस तकरीर में यह भी कहा कि मेरा राम तो मुस्लिमों को भी स्वीकार कर लेगा लेकिन पहले यह सोच लीजिए कि क्या आपकी मस्जिद मेरे राम को स्वीकार करेगी? (वेबदुनिया न्यूज)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi