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पूरी दुनिया को ढूंढना होगा आतंकवाद का हल

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पाकिस्तान के पेशावर में हुए आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। भारत का बुद्धिजीवी वर्ग भी मासूम बच्चों के कत्लेआम से काफी आहत है। इस वर्ग का मानना है कि अब आतंकवाद पर राजनीति बंद हो और पूरी दुनिया मिलकर इससे निबटने का रास्ता तलाश करे।

पाकिस्तान में हुए आतंकवादी हमले से दुखी वरिष्ठ लेखिका क्षमा शर्मा ने कहा कि मुझे लगता है कि आतंकवादी चाहते हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा माइलेज मिले। बच्चों की हत्या से पूरी दुनिया का दिल दहल जाता है। मैंने टीवी पर देखा कि समाचार प्रस्तुत करते समय टीवी एंकर रो पड़ी थी। यह सब देखकर मैं भी अपने आंसू नहीं रोक पाई। खून के धब्बे दीवारों पर नहीं हमारे दिलों पर लगे हैं। ऐसा लगा मानो जैसे दीवारों पर किसी ने कील से छेद कर दिए हों। अब स्कूलों में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। यह बहुत ही दुखद घटना है।

सरकारों को राजनीतिक रोटी सेंकने से फुर्सत नहीं है। आतंकवाद के इस मुद्दे को कोई भी सरकार गंभीरता से हल नहीं करती। हमारी सरकार ने भी आतंकवादी हमलों को लेकर एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि इस एडवाइजरी से आखिर होगा क्या? कौन कहां से घुस जाएगा, कहा नहीं जा सकता। जब आतंकवादी संसद जैसी सुरक्षित जगह पर घुस सकते हैं तो स्कूलों की तो बिसात ही क्या है, जहां बहुत से स्कूलों में दरवाजे नहीं होते, गार्ड नहीं होते। हम लोग, हमारे बच्चे भी कहां सुरक्षित हैं? सबसे अहम बात यह है कि बच्चा हो या बड़ा, कोई भी क्यों मरे।


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पेशावर के आर्मी स्कूल पर हुए आतंकवादी हमले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए डीडी नेशनल की चैनल एडवाइजर तनुजा शंकर ने कहा कि यह तो क्रूरता की पराकाष्ठा है। पाकिस्तान में आतंकवाद की बार-बार चर्चा हो रही है। वहां लगातार इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। मुझे ऐसा लगता है कि आतंकवाद अब सिर्फ पाकिस्तान का मसला नहीं रह गया है। यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, जिस पर पूरी दुनिया को सोचने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि मासूम बच्चों की हत्या बहुत ही दर्दनाक है। आतंकवाद अब पाकिस्तान के लिए 'भस्मासुर' बन गया है और यह देश टूटने की कगार पर पहुंच गया है। वहां मलाला पर हमला होता है। आर्मी स्कूल में मासूम बच्चों को निशाना बनाया जाता है, उनकी हत्या की जाती है। आज पूरी दुनिया में आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं। इससे कैसे निबटा जाए, अब इस पर पूरी दुनिया को विचार करना होगा। संयुक्त राष्ट्र को भी इस विचार करना होगा। अब यह सिर्फ पाकिस्तान या हिन्दुस्तान का मुद्दा नहीं रह गया है। अब जरूरी है कि पाकिस्तान के बुद्धिजीवी, विचारक, पॉलिसी मेकर सब मिलकर इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और वहां की सरकार पर दबाव बनाएं, ताकि वहां आतंकियों को प्रश्रय न मिल पाए।

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