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पाकिस्तान से आए हिंदुओं को मिलेगी नागरिकता!

हमें फॉलो करें पाकिस्तान से आए हिंदुओं को मिलेगी नागरिकता!
, गुरुवार, 23 अक्टूबर 2014 (12:00 IST)
लखनऊ। देश के बंटवारे के बाद बड़ी संख्या में सिंध प्रांत के हिंदू भारत आए। इन हिन्दुओं को भारत में सिंधी कहा जाता है। सिंध के अलावा पंजाब, बलूचिस्तान, पेशावार आदि जगहों से भी हिन्दुनों ने भारत में शरण ले रखी है। उनमें से कुछ 50 वर्षो से अधिक समय से यहीं रह रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक भारतीय नागरिक नहीं मिली है। हालांकि माना जा रहा है कि केंद्र की नई मोदी सरकार अब इनकी सुध ले रही है और इन्हें नागरिकता देने के लिए आंकड़ों को इकट्ठा करने का काम शुरू कर दिया है। 
 
कई वर्षो के दौरान करीब 10 हजार परिवार कई कारणों से खासकर धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर पाकिस्तान से भारत आ गए और दीर्घावधि वीजा लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में बस गए, लेकिन पाकिस्तानी नागरिक के रूप में।
 
लेकिन अब गृह मंत्रालय का एक कार्य दल उनके पास मौजूद पासपोर्ट, वीजा तथा अन्य दस्तावेजों की समीक्षा कर रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय के एक दल ने वास्तविक हकीकत को समझने के लिए यहां कलेक्ट्रेट में वैसे 290 लोगों से मुलाकात की है।
 
इस बैठक में गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव जी.के. द्विवेदी, राज्य के गृह सचिव नीना शर्मा, लखनऊ के पुलिस प्रमुख प्रवीण कुमार तथा एक अतिरिक्त जिलाधिकारी ने हिस्सा लिया। लोगों की लंबे समय से मांग को निपटाने की दिशा में इसे पहले कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
 
अधिकारी ने कहा कि ऑनलाइन पंजीकरण शुरू किया जा चुका है और 140 लोगों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है, जबकि 150 लोगों ने दीर्घावधि वीजा के विस्तार की मांग की है।
 
शहर में दवा दुकान चलाने वाले बलानी परिवार ने कहा कि कट्टरपंथियों ने 15 वर्ष पहले उन लोगों को पाकिस्तान छोड़ने पर मजबूर कर दिया, लेकिन दुख इस बात का है कि एक दशक बीत जाने के बाद भी उनके पास न तो कोई अधिकार है, न राशन कार्ड है और न ही मतदाता पहचान पत्र है।
 
परिवार के एक सदस्य ने कहा, 'हम किसी भी देश के नागरिक नहीं रह गए हैं। हमारे बच्चों लिए कोई नौकरी नहीं है।'
 
आथुरान नाम के 57 वर्षीय एक व्यक्ति ने कहा कि बीते 21 वर्षो में तीन बार उनका पासपोर्ट बन चुका है, लेकिन उनके वीजा को एक बार भी विस्तार नहीं मिल पाया है। भारत में बसने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया एक स्वागत योग्य कदम है।
 
भावुक होते हुए उन्होंने आईएएनएस से कहा, 'मैं सदा के लिए भारत में रहना चाहता हूं और यदि नागरिकता मिल जाती है, तो मुझे बहुत खुशी होगी। अगर मेरे दीर्घावधि के वीजा को विस्तारित नहीं किया जाता है, तो कोई मेरे लिए कुछ नहीं कर सकता।'
 
विश्निबाई नाम की 54 वर्षीय एक सिंधी महिला ने कहा कि 1964 में वह अपने पिता के साथ पाकिस्तान से भारत आई थी, लेकिन दुख इस बात का है कि अभी तक उन्हें यहां की नागरिकता नहीं मिली। (एजेंसी)


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