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सबसे बड़ा निलंबन तो कांग्रेस के शासन में हुआ था

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, मंगलवार, 4 अगस्त 2015 (12:04 IST)
नई दिल्ली। अपने 25 सांसदों के निलंबन के खिलाफ संसद भवन परिसर में धरना देने वाली कांग्रेस को संभवत: याद होगा कि संसद में सबसे बड़ा निलंबन तो तब हुआ था, जब कांग्रेस सत्ता में थी। 
 
निलंबन पर सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों के निलंबन पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि संसद चलाना सरकार की जिम्मेदारी है। कांग्रेस के कई सदस्य काला चोगा पहने हुए थे। उन्होंने बाजू पर काली पट्टियां बाँधी हुई थी और वे काले झंडे लहरा रहे थे।
 
गौरतलब है कि ललित मोदी प्रकरण और व्यापमं घोटाले के चलते पिछले कई दिनों से संसद ठप और वहां कोई भी काम नहीं हो पा रही है। कांग्रेस विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के इस्तीफे पर अड़ी हुई है। 
 
यह था सबसे बड़ा निलंबन : संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था। सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे। तब लोकसभा अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था, जबकि चार अन्य सांसद उनके साथ सदन से बाहर चले गए। उस समय श्रीमती सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। 
 
अगले पेज पर ... पढ़ें कांग्रेस शासन के ही कुछ और निलंबन...

एक नजर कुछ और निलंबनों पर : 15वीं यानी पिछली लोकसभा में ऐसे मौके रहे हैं जब सांसदों को निलंबित किया गया। उस समय केन्द्र में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार सत्ता में थी और प्रधानमंत्री थे डॉ. मनमोहन सिंह।
 
* फरवरी 2014 में लोकसभा के शीतकाल सत्र में 17 सांसदों को 374 (ए) के तहत ही निलंबित कर दिया गया था।
 
* 2013 में मानसून सत्र के दौरान, 23 अगस्त को लोकसभा अध्यक्ष ने संसद की कार्यवाही में रुकावट पैदा करने के लिए 12 सांसदों को निलंबित कर दिया था। इन 12 लोगों में से नौ को 2 सितंबर को फिर से निलंबित कर दिया गया था। हर बार सांसदों को पांच बैठकों के लिए निलंबित किया गया था।


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