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गंगा को बचाने के लिए करोड़ों भगीरथों की जरूरत: मोदी

हमें फॉलो करें गंगा को बचाने के लिए करोड़ों भगीरथों की जरूरत: मोदी
नई दिल्ली , रविवार, 24 अप्रैल 2016 (14:08 IST)
नई दिल्ली। गंगा को जीवनदायिनी, रोजी-रोटी का जरिया और जीने की नई ताकत देने वाली नदी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सबको इसकी सफाई और स्वच्छता के संदर्भ में बदलाव का वाहक बनना पड़ेगा और इस दिशा में सरकार के प्रयासों के परिणाम कुछ समय में सामने आने लगेंगे।
 
आकाशवाणी पर प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या कभी गंगा सफाई का अभियान संभव होगा? इस बारे में चिंता बहुत स्वाभाविक है, क्योंकि करीब-करीब 30 साल से यह काम चल रहा है। कई सरकारें आईं, कई योजनाएं बनीं, ढेर सारा खर्च भी हुआ और इसके कारण लोगों के मन में ये सवाल होना बहुत स्वाभाविक है।
 
उन्होंने कहा कि धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए गंगा मोक्षदायिनी है। मैं उस माहात्म्य को तो स्वीकार करूंगा ही, पर इससे ज्यादा मुझे लगता है कि गंगा जीवनदायिनी है। गंगा से हमें रोटी मिलती है। गंगा से हमें रोजी मिलती है। गंगा से हमें जीने की एक नई ताकत मिलती है। गंगा जैसे बहती है, देश की आर्थिक गतिविधि को भी एक नई गति देती है।
 
मोदी ने कहा कि एक भगीरथ ने गंगा तो हमें लाकर दे दी, लेकिन बचाने के लिए करोड़ों-करोड़ भगीरथों की जरूरत है। जनभागीदारी के बिना ये काम कभी सफल हो ही नहीं सकता है और इसलिए हम सबको सफाई के लिए, स्वच्छता के लिए, बदलाव का वाहक बनना पड़ेगा। बार-बार बात को दोहराना पड़ेगा, कहना पड़ेगा।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की तरफ से कई सारे प्रयास चल रहे हैं। गंगा तट पर जो-जो राज्य हैं, उन राज्यों का भी भरपूर सहयोग लेने का प्रयास हो रहा है। सामाजिक, स्वैच्छिक संगठनों को भी जोड़ने का प्रयास हो रहा है। 
 
सतह सफाई और औद्योगिक प्रदूषण पर रोकने के लिए काफी कदम उठाए हैं। हर दिन गंगा में बड़ी मात्रा में नालों के रास्ते से ठोस कचरा बहकर अंदर आता है। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, पटना जैसे स्थानों पर पानी में तैरते कचरा साफ करने का काम हो रहा है। सभी स्थानीय निकायों को इसके जिए ट्रैस स्कीमर मुहैया कराया गया है और उनसे आग्रह किया गया है कि इसको लगातार चलाए और वहीं से कचरा साफ करते चलें।
 
मोदी ने कहा कि पिछले दिनों मुझे बताया गया कि जहां बड़े अच्छे ढंग से प्रयास होता है, वहां तो तीन टन से 11 टन तक प्रतिदिन कचरा निकाला जाता है। तो ये तो बात सही है कि इतनी मात्रा में गंदगी बनने से रुक रही है। आने वाले दिनों में और भी स्थानों पर ट्रैस स्कीमर लगाने की योजना है और उसका लाभ गंगा और यमुना तट के लोगों को तुरंत अनुभव भी होगा।
 
उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कागज, गन्ना, शराब जैसे उद्योगों के लिए योजना बन गयी है। कुछ मात्रा में लागू होना शुरू भी हुआ है। उसके भी अच्छे परिणाम निकलेंगे, ऐसा अभी तो मुझे लग रहा है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा, 'पिछले दिनों कुछ अफसर मुझे बता रहे थे कि उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश में डिस्टीलरी से जो गंदगी निकलती थी, वहां शून्य निकासी की ओर उन्होंने सफलता पा ली है, यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई।
 
उन्होंने कहा कि पल्प, कागज और काली शराब की निकासी लगभग पूरी तरह खत्म हो रही है। ये सारे इस बात के संकेत हैं कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं और एक जागरूकता भी बढ़ी है।
 
उन्होंने कहा कि मैंने देखा है कि सिर्फ गंगा के तट के नहीं, दूर-सुदूर दक्षिण का भी कोई व्यक्ति मिलता है, तो जरूर कहता है कि गंगा साफ तो होगी । यह जन-सामान्य की आस्था है, वो गंगा सफाई में जरूर सफलता दिलाएगी। गंगा स्वच्छता के लिए लोग धन भी दे रहे हैं। काफी अच्छे ढंग से इस व्यवस्था को चलाया जा रहा है। (भाषा) 

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