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नई दिल्ली , बुधवार, 24 दिसंबर 2014 (10:45 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान कानून में ऐसे संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसके तहत केंद्र कुछ विशेष मामलों में कर्मचारियों पर भविष्य निधि में अनिवार्य अंशदान को घटा या पूरी तरह माफ कर सकती है।
 

इस बारे में कोई फैसला श्रेणी विशेष के उद्योगों की वित्तीय स्थिति या अन्य हालात के आधार पर किया जाएगा।
 
कानून में प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, ‘अगर केंद्र सरकार को किसी श्रेणी विशेष के उद्योगों के वित्तीय स्थिति या अन्य हालात के मद्देनजर जरूरी लगा तो वह कर्मचारियों के अनिवार्य भविष्य निधि अंशदान को घटा सकेगी या पूरी तरह माफ कर सकेगी।’
 
श्रम मंत्रालय ने इस बारे में विधेयक के मसौदे पर संबंधित विभागों से 30 दिसंबर तक टिप्पणी मांगी हैं। मंत्रालय को कई नियोक्ता व कर्मचारी संगठनों से ज्ञापन भी मिले हैं।
 
मौजूदा व्यवस्था में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को अपने मूल वेतन (महंगाई भत्ते सहित) के 12 प्रतिशत का अंशदान करना होता है। मसौदा विधेयक के अनुसार सरकार इस अंशदान को 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर सकती है।
 
श्रम मंत्रालय ने इस विधेयक के मसौदे पर अन्य विभागों से सलाह मांगी है और इसके लिए 30 दिसंबर तक का समय है। इसके विभिन्न कर्मचारी और नियोक्ता संगठनों से भी सुझाव मिले हैं।
 
विधेयक में ईपीएफ योजना को अब 10 या उससे अधिक श्रमिकों वाले संगठन में लागू करने का प्रस्ताव है। अभी 20 से कम कर्ममारी वाले संगठन मुक्त हैं।
 
इसमें कर्मचारियों के वेतन से अंशदान काटने के बाद उसे कोष में न जमा कराने पर न्यूनतम दंड 10,000 रुपए से बढ़ाकर 70,000 रुपए करने का भी प्रस्ताव है। (भाषा) 

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