रेल में यात्र किराए को लेकर जल्द ही एक नई एजेंसी काम करना शुरू कर देगी। इस कमेटी का काम रेलवे किराए और रेलवे को सभी स्टेंडर्ड पर खरा उतरने सिफारिशें देना होगा। इस एजेंसी के गठन को लेकर जल्द ही रेलवे मंत्रालय को केबिनेट से हरी झंडी मिल जाएगी।
एक अंग्रेजी अखबार की वेबसाइट ने रेलवे के एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि पिछले सप्ताह इसका मसौदा केबिनेट के पास भेजा जा चुका है। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक यह प्रस्ताव पास हो जाएगा। एक बार इसके पास हो जाने के बाद रेलवे की ओर से उठाया गया यह दूसरा बड़ा कदम होगा।
रेल मंत्रालय की ओर से भेजे गए नए मसौदे के अंतर्गत रेलवे डेवलेपमेंट ऑथरिटी में एक चेयरमेन के अलावा रेलवे के चार स्वतंत्र सदस्य होंगे। इसको लेकर रेल मंत्रालय काफी उत्साहित इसलिए भी है क्योंकि इसको लेकर उन्हें नीति आयोग और कई मंत्रालय से सराहना के साथ-साथ कई सुझाव भी मिल चुके हैं।
इस मसौदे पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सीधी बातचीत भी हो चुकी है। इस दौरान रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे थे। सभी ने इसके महत्व पर जोर दिया है। खुद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने स्वीकारा है कि इस एजेंसी के बन जाने के बाद से रेलवे की सुविधाओं और उनकी क्वालिटी में अमूलचूक परिवर्तन आएगा।
उन्होंने कहा कि यह रेलवे के साथ-साथ ग्राहकों के लिए काफी बेहतर होगा। लगातार बढ़ रहे घाटे को पाटने के लिए इस बार मालभाड़े में इजाफा किया जा सकता है। रेलवे अधिकारी के मुताबिक हमारे यहां मालभाड़ा अन्य यूरोपीय देशों और चीन के मुकाबले कहीं ज्यादा है। उनके मुताबिक नई एजेंसी सड़क के जरिए लगने वाले मालभाड़े और रेल मालभाड़े के बीच अंतर निकालकर अपनी सलाह देगी।
गौरतलब है कि इस बार आगामी बजट के दौरान ही रेल बजट भी इसके साथ ही पेश किया जाएगा। सरकार ने रेल और आम बजट को अलग-अलग दिन पेश करने की परंपरा को तिलांजलि दे दी है। एक आंकड़े के मुताबिक रेलवे को हर वर्ष किराए पर दी जाने वाली सब्सिडी के चलते करीब 33 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है।