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पड़ोसियों से रिश्ते सुधारना चाहता है भारत : राजनाथ

हमें फॉलो करें पड़ोसियों से रिश्ते सुधारना चाहता है भारत : राजनाथ
लखनऊ , शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2015 (18:09 IST)
लखनऊ। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने पड़ोसियों से रिश्ते सुधारना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से ‘समस्याएं’ हैं।

राजनाथ सिंह ने दिवंगत नेता डीपी बोरा के 75वें जन्मदिवस पर वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि हमें ये सच्चाई स्वीकारनी चाहिए कि जीवन में दोस्त तो बदलते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं और हमें उनके साथ अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए।

उन्होंने कहा कि मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि पडोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की प्रक्रिया उसी दिन से शुरू हो गई थी जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हमने शपथ ली थी। उन्होंने कहा कि हमने न सिर्फ दोस्ती का हाथ बढ़ाया बल्कि हम चाहते थे कि हमारे दिल मिलें।

गृहमंत्री ने कहा कि ये विडंबना है कि समय-समय पर पाकिस्तान ने समस्याएं पैदा कीं। मैं कोई सीधा आरोप नहीं लगा रहा हूं लेकिन शायद (वहां की) आंतरिक समस्याओं से जनता का ध्यान बंटाने के प्रयास में कोई और लोग ऐसे कार्य (आतंकवाद) कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद एक दिन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक ने उन्हें फोन पर सूचित किया कि पाकिस्तानी रेंजरों ने 5 भारतीय नागरिकों को मार दिया है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि मैंने उनसे पूछा कि हमारे बल ने क्या किया? उन्होंने जवाब दिया कि हमने सफेद ध्वज लहराए जिसका मतलब है कि हम बातचीत और फ्लैग बैठक करना चाहते हैं। ये सहनशीलता की पराकाष्ठा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि ये हमें स्वीकार्य नहीं कि पाकिस्तान हमारे निर्दोष नागरिकों को मारे और हम शांत रहें। उस समय मैंने बीएसएफ प्रमुख से कहा था कि लोगों को सुरक्षित जगह पर ले जाइए और हमारी ओर से पहली गोली नहीं चलनी चाहिए। लेकिन यदि दूसरी ओर से फायरिंग होती है तो करारा जवाब दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उसके बाद क्या हुआ, आप सबको पता है। पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की शरण लेनी पडी। हमारी सेना या अर्द्धसैनिक बल पूरी सतर्कता से सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि उग्रवाद के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र भी अशांत है। नक्सलवाद बडी चुनौती है। गृहमंत्री का प्रभार संभालने के बाद मैंने जो सबसे पहली अपील की, वह यह थी कि मैं उनके साथ बातचीत को तैयार हूं बशर्ते वे पहले हथियार डाल दें।

उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में यदि कोई हिंसा का सहारा लेता है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तथा कई मामलों में अब स्थिति नियंत्रण में है।

राजनाथ ने कहा कि हर साल 13 लाख गायों की तस्करी भारत से बांग्लादेश होती थी। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अब ये संख्या घटकर ढाई लाख के आसपास हो गई है। हमारा प्रयास है कि इस पर पूरी तरह रोक लग जाए।

राजनाथ ने कहा कि वे आश्वस्त करना चाहते हैं कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए अपनी पूरी सामर्थ्य से प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि मैं ऐसे मंत्रालय से संबद्ध हूं, जहां मैं खुलकर बात नहीं कर सकता, मेरा कार्य जिम्मेदारी का है। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि गृहमंत्री के रूप में जिम्मेदारी होने के नाते तथा जो हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं, हम आपके सम्मान और सुरक्षा को क्षति नहीं पहुंचने देंगे।

गृहमंत्री ने कहा कि हमें इसे चुनौती के रूप में लेना चाहिए। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विलक्षणता नम्रता, शिष्टाचार और माता-पिता का सम्मान है।

उन्होंने कहा कि अब इन मूल्यों को विकसित देश भी अपना रहे हैं। दुनियाभर के लोगों का भारतीय संस्कृति में विश्वास बढ़ रहा है। मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि एक विदेशी स्तंभकार ने कहा है कि जिस ढंग से परिवार की संस्था के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है, ऐसा लगता है कि हम सभी भारतीय बन रहे हैं।

राजनाथ ने कहा कि मैं उन लोगों का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने संविधान बनाया और वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा का प्रावधान किया। (भाषा)

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