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22 वर्षीय लड़की से बलात्कार मामले की जांच सीबीआई करेगी

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नई दिल्ली , बुधवार, 18 फ़रवरी 2015 (00:11 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को 22 वर्षीय लड़की से उसके पिता द्वारा कथित बलात्कार और उस पर हमले के आरोपों की जांच का निर्देश दिया। इस लड़की का आरोप है कि उसके पिता ने उसे वेश्यावृति के लिए बाध्य करने का प्रयास किया लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की।
न्यायमूर्ति एम वाई इकबाल और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने कहा, ‘पहली नजर में पुलिस ने असली अभियुक्तों को बचाने के लिए पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया है। न्यायाधीशों ने एक वर्ग की महिलाओं को वेश्यावृति में फंसाने और धनी वर्ग द्वारा विशेष रूप से पुलिस की मिलीभगत से उनका शोषण करने पर दु:ख व्यक्त किया।
 
मेरठ की एक युवती ने कुछ वकीलों के माध्यम से अपनी व्यथा सुनाते हुए सीधे शीर्ष अदालत से संपर्क किया। इस युवती ने इन वकीलों को बताया कि उसके पिता और उसके साथियों ने उससे कथित रूप से बलात्कार किया और देह व्यापार में शामिल होने की मांग स्वीकार नहीं करने पर उसकी पिटाई की गई।
 
न्यायाधीशों ने कहा कि चूंकि इस मामले में उप्र पुलिस के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये गये हैं, इसलिए यह निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को सौंपने का सर्वथा उपयुक्त मामला है।
 
न्यायालय ने कहा कि इस मामले के तथ्यों और घटनाक्रम को देखते हुये और जांच में असाधारण विलंब के मद्देनजर पता चलता है कि राज्य पुलिस सही तरीके से जांच नहीं कर रही है। दो साल से भी अधिक समय बीत चुका है लेकिन पुलिस अभी तक जांच पूरी नहीं कर सकी है, जिससे पता चलता है क पुलिस ने सही तरीके से मामले की जांच नहीं की है।
 
न्यायालय ने कहा कि इस मामले के सारे तथ्यों और पुलिस अधिकारियों सहित प्रतिवादियों के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यह सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेन्सी को जांच के लिए सौपने हेतु सर्वथा उचित मामला है।
 
इस समूची घटना से बेहद नाराज न्यायाधीशों ने सुनवाई के दौरान कुछ तल्ख टिप्पणियां भी कीं। न्यायाधीशों ने कहा कि इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि परिस्थितियों की शिकार एक वर्ग की महिलाओं को देह व्यापार के जाल में फंसाया जाता है। 
 
इस जाल में फंसाई गई महिलाएं गरीब, निरक्षर और समाज के अंजाने वर्ग की होती हैं। समाज का रईस तबका संगठित तरीके से, विशेष रूप से पुलिस की मिली भगत से, उनका शोषण करता है।
 
इस 22 वर्षीय युवती ने दावा किया है कि हालांकि 2013 में उसकी प्राथमिकी दर्ज की गयी थी लेकिन उप्र प्रदेश पुलिस ने तमाम नोटिस दिए जाने के बावजूद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164-ए के तहत न तो उसका बयान दर्ज किया और न ही उसका मेडिकल परीक्षण कराया। (भाषा)

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