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एकता के लिए दौड़ा देश, प्रधानमंत्री मोदी भी दौड़े

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-सुनील जैन 
 
नई दिल्ली। लौहपुरुष सरदार पटेल की 139वीं जयंती के मौके पर आज (शुक्रवार को) पूरा देश राष्ट्रीय एकता के लिए दौड़ा।
 
लौहपुरुष सरदार पटेल के बड़े साइन बोर्डों से सजे राजधानी दिल्ली के राजपथ में प्रधानमंत्री ने 'रन फॉर यूनिटी' को हरी झंडी दिखाते हुए देशवासियों से जाति, समुदाय, भाषा के विभेदों से ऊपर उठने का आह्वान किया और कहा कि हमारी संस्कृति और विरासत विविधता में एकता की है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने अपने कौशल, दूरदृष्टि और देशभक्ति से देश को एकसूत्र में पिरोया। विभाजन के बाद देश को एकजुट रखने में पटेल के योगदान को याद करते हुए मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने भारत को कई छोटे क्षेत्रों में विभाजित करने की अंग्रेजों की योजना ध्वस्त कर दी। उन्होंने अकेले सभी 550 क्षेत्रों का देश में विलय किया।
 
राजपथ से इंडिया गेट तक की 3 किलोमीटर लंबे दौड़ के मार्ग में मोदी के साथ अनेक केंद्रीय मंत्रियों, राष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ बड़ी तादाद में आम जन दौड़ा जिनमें स्त्री, पुरुष व बच्चे सभी शामिल थे।
 
दौड़ने वालों में स्कूली बच्चों के साथ बड़ी तादाद में सुरक्षाकर्मी भी थे। जनसाधारण के उत्साह का आलम यह था कि अलसुबह से ही आमजन राजपथ पर जुड़ने शुरू हो गए। इसके लिए प्रशासन ने भी विशेष बंदोबस्त किए थे।
 
'लौहपुरुष' के तौर पर लोकप्रिय सरदार पटेल के योगदान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह पहल किसी अन्य नेता के योगदान को कमतर करने का प्रयास नहीं है।
 
मोदी ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो राष्ट्र अपने इतिहास का सम्मान नहीं करता है, वह इसका सृजन कभी नहीं कर सकता। इतिहास, विरासत को विचारधारा के संकीर्ण दायरे में विभाजित मत कीजिए।
 
महात्मा गांधी और सरदार पटेल की जोड़ी के बीच अटूट बंधन की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि गांधीजी ने दांडी यात्रा का जिम्मा सरदार पटेल को सौंपा था। ऐसा लगता था कि सरदार साहब के बिना गांधीजी भी अधूरे थे।
 
स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल के योगदान को याद करते हुए मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने उन्हें ऐतिहासिक दांडी यात्रा की योजना बनाने का दायित्व सौंपा था जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम रामकृष्ण परमहंस को देखते हैं, तब ऐसा लगता है कि वे स्वामी विवेकानंद के बिना पूर्ण नहीं हैं। इसी तरह से महात्मा गांधी भी सरदार पटेल के बिना अधूरे प्रतीत होते हैं।
 
इससे पहले प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि अगर सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते, तब इतिहास कुछ और होता। ऐसा कई लोग महसूस करते हैं।
 
उन्होंने यह भी कहा कि समारोह का उद्देश्य किसी दूसरे राजनीतिक नेता के योगदान को कम करना नहीं है। उन्होंने कहा कि लगता यही है कि उत्तरोत्तर सरकारों ने जवाहरलाल नेहरू और नेहरू-गांधी परिवार के योगदान को दूसरों से अधिक तवज्जो दी।
 
‘रन फॉर यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाने के बाद मोदी ने कुछ दूर तेज चलकर दौड़ का नेतृत्व भी किया। इस दौड़ में सुशील कुमार, विजेन्दर सिंह, वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर सहित अनेक जाने-माने खिलाड़ियों ने भी हिस्सा लिया।
 
केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, वेंकैया नायडू एवं अनेक सांसदों के साथ प्रधानमंत्री ने दौड़ में हिस्सा लेने वालों को एकता की शपथ दिलाई। इससे पहले मोदी ने पटेल चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की जिसे इस अवसर पर सजाया गया था।
 
सरदार पटेल की तुलना चाणक्य से करते हुए मोदी ने कहा कि देश सरदार पटेल को कभी नहीं भूल सकता। शताब्दियों पहले चाणक्य ने छोटी रियासतों को एकजुट करके एक मजबूत ढांचा स्थापित करने का सफल प्रयोग किया था।
 
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद यही काम उस व्यक्ति सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया जिनकी आज हम जयंती मना रहे हैं। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपना पूरा जीवन भारत की एकता के लिए समर्पित कर दिया उसे अपने राजनीतिक जीवन में विरोध और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा लेकिन वह देश को एकजुट रखने के अपने लक्ष्य से कभी विचलित नहीं हुआ।
 
मोदी ने कहा कि जो राष्ट्र अपने इतिहास का सम्मान नहीं करता, वह इसका सृजन नहीं कर सकता। मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन देश की एकता के लिए समर्पित कर दिया और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 30 वर्ष पहले उनकी जयंती पर ‘हमारे अपने लोग’ मारे गए। 
 
मोदी ने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन में बाधा आने के बावजूद पटेल राष्ट्रीय एकता की अपनी सोच से कभी विचलित नहीं हुए। यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि 30 साल पहले ऐसे नेता की जयंती पर ऐसी घटना हुई जिसने राष्ट्र की एकता को हिला दिया।
 
मोदी ने कहा कि हमारे अपने लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। यह घटना एक विशेष धर्म के लोगों के दिलों पर ही घाव नहीं है बल्कि हजारों वर्ष की देश की धरोहर एवं संस्कृति के हृदय में लगा खंजर है। उन्होंने यह भी कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है। (वीएनआई)

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