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चमत्कार की उम्मीद में है महाराष्ट्र के सैनिक का परिवार

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सतारा , मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016 (17:55 IST)
सतारा। पश्चिमी महाराष्ट्र में सतारा जिले में महास्करवाड़ी गांव में हाल ही में रंग-रोगन किए गए घर में एक बच्चा खेल रहा है और वह इस तथ्य से अंजान है कि उसकी मां और दादा-दादी क्यों रो रहे हैं। हालांकि उसे मालूम है कि सियाचिन हिमस्खलन में उसके पिता की मौत हो गई है, जिसमें नौ सैनिकों शहीद हुए हैं।

बुधवार को विश्व के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान सियाचिन पर भारी हिमस्खलन की चपेट में चौकी के आने के बाद बच्चे के पिता सिपाही सुनील सूर्यवंशी सहित अन्य सैनिक कई टन बर्फ के नीचे दब गए थे।
 
सुनील के साथ अपनी अंतिम बातचीत को याद करते हुए उनकी मां संगीता कहती हैं, उन्होंने कहा था कि मैं वापस आऊंगा और हम सभी लोगों से चिंता नहीं करने को कहा था। उन्होंने कहा कि वे फिर फोन करेंगे। सैनिक के पिता विट्ठल ने कहा कि उन्हें अपने बेटे के बलिदान पर गर्व हैं। 
 
सुनील के भाई तानाजी ने किसी चमत्कार की आशा व्यक्त करते हुए कहा, हमें अभी भी लगता है कि वे लौट आएंगे और एक बार फिर हमारे बीच होंगे। कराड शहर के एक बैंक में काम करने वाले तानाजी ने बताया कि अपनी एक साल की बेटी से सुनील को काफी लगाव था।
 
गांव के एक स्कूल में चौथी कक्षा तक सुनील को पढ़ाने वाली वंदना सुहास भोसले ने बताया कि वे कुकुदवाड में पांचवीं से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए छह किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाता था। यह जगह मान तहसील में महसकरवादी के नजदीक और सतारा से 70 किलोमीटर दूर है। 1991 में जन्मे सुनील की करीब दो साल पहले शादी हुई थी।
 
वंदना ने सैनिक के पिता के समर्पण की सराहना की जिन्होंने बेहद कम आय होने के बावजूद अपने दो बेटों का पालन-पोषण किया । उन्होंने बताया, ‘‘दो एकड़ जमीन के मालिक विट्ठल ने पेंटिंग का काम शुरू किया, स्कूलों को पेंट किया, शौचालय बनाए और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए छोटे-मोटे काम भी किए।’’ 
 
वंदना ने कहा, सुनील का परिवार हाल ही में अपने नए मकान में रहने आया था। शिव जयंती के मौके पर 19 फरवरी को वास्तु शांति कार्यक्रम होने वाला था। पिछले चार महीनों में यह दूसरा मौका है, जब सतारा जिले के सपूत ने अपनी शहादत देकर देश को गौरवान्वित किया है।
 
बीते 17 नवंबर को कर्नल संतोष महादिक जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों से मुकाबले के दौरान शहीद हो गए थे। (भाषा)

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