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सोनिया गांधी ने की मोदी सरकार की आलोचना

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 27 मार्च 2015 (16:53 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार के विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर बातचीत की पेशकश को ठुकराते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा कि किसान विरोधी कानून थोप देने के बाद बहस की बातें करना सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति बनाने की परंपरा का उपहास करने जैसा है। उन्होंने इस विधेयक को देश की रीढ तोड़ने वाला बताते हुए कहा कि वे कभी इसका समर्थन नहीं कर सकतीं।

सोनिया ने आरोप लगाया कि अदूरदर्शी मोदी सरकार उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए झुकी पड़ी है। उन्होंने मांग की कि संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठकर 2013 में संप्रग द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण कानून को समग्रता में वापस लाया जाए।

सोनिया गांधी ने भूमि अधिग्रहण विधेयक के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पत्र का कड़े शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि संशोधन आप बिना किसी भी बहस और चर्चा से गुजरे ले आए हैं। सरकार द्वारा मनमाने ढंग से किसान विरोधी कानून थोप देने के बाद बहस की बातें करना राष्ट्रीय महत्व की नीतियां लागू करने के पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति बनाने की परंपरा का उपहास करने के बराबर है।

भूमि विधेयक का विरोध करने वालों को राष्ट्र विरोधी के रूप में पेश करने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए सोनिया ने अपने जवाब में कहा कि किसान हमारे देश की रीढ़ हैं और हर हाल में उनके हितों की रक्षा होनी ही चाहिए और इस पर कांग्रेस कोई समझौता नहीं कर सकती।

उन्होंने कहा कि हम इस देश की रीढ़ को तोड़ने वाले किसी कानून का कभी समर्थन नहीं कर सकते इसलिए मैं आपसे आग्रह करती हूं कि संकीर्ण पक्षपातपूर्ण राजनीति से ऊपर उठें और 2013 के उस कानून को समग्रता में वापस लाएं, जो कि हमारे किसान भाइयों एवं बहनों की भावनाओं और आकांक्षाओं के अनुकूल था। (भाषा)

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