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चिदंबरम ने ब्याज दर को लेकर डाला दबाव : सुब्बाराव

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मुंबई , शुक्रवार, 15 जुलाई 2016 (15:31 IST)
मुंबई। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने तत्कालीन सरकार में अपने आकाओं पर तीखी टिप्पणी करते हुए आरोप लगाया कि पूर्व वित्तमंत्रियों पी. चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी ने केंद्रीय बैंक के कामकाज में विशेष तौर पर ब्याज दर तय करने के मामले में हस्तक्षेप किया और इस मुद्दे पर मतभेद के चलते दो डिप्टी गवर्नरों को सेवा विस्तार भी नहीं मिला।
 
सुब्बाराव ने अपनी किताब में लिखा कि चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी दोनों रिजर्व बैंक की उच्च ब्याज दर की नीति से चिढ़े हुए थे, क्योंकि उनका मानना था कि उच्च ब्याज दर से निवेश प्रभावित होने के कारण वृद्धि पर असर हो रहा है। सुब्बाराव वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान रिजर्व बैंक के प्रमुख थे और वे 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013 तक इस पद पर रहे।
 
उन्होंने ये टिप्पणियां अपनी 352 पन्नों की पुस्तक 'हू मूव्ड माई इंटरेस्ट रेट्स- लीडिंग द रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया थ्रू फाइव टर्ब्यूलेंट इयर्स' में की है, जो आज बाजार में आ रही है। 
 
पूर्व गवर्नर सुब्बाराव की यह किताब रिजर्व बैंक के मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन द्वारा बैंक में गवर्नर पद पर दूसरा कार्यकाल स्वीकार करने से इंकार करने के 1 महीने के अंतराल में बाजार में आ रही है। राजन ने उन पर किए गए व्यक्तिगत हमलों के बाद दूसरा कार्यकाल स्वीकार करने से इंकार कर दिया।
 
सुब्बाराव की पुस्तक में यह बताया गया है कि कैसे चिंदबरम और मुखर्जी ने वित्तमंत्री के तौर पर केंद्रीय बैंक में उनके कार्यकाल के दौरान नीतिगत दरों पर फैसलों के संबंध में आरबीआई के साथ असहमति के संबंध में सार्वजनिक रूप से चर्चा की थी।
 
लीमन ब्रदर्स संकट के बाद से संकटभरे 5 साल के दौरान आरबीआई का नेतृत्व करने वाले सुब्बाराव के मुताबिक चिदंबरम और मुखर्जी की ओर से न सिर्फ उनके ऊपर ब्याज दर कम करने का दबाव था बल्कि ऐसा न करने की उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। (भाषा)

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