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सुजाता को अचानक हटाने से राजनीतिक दलों में छिड़ा वाकयुद्ध

हमें फॉलो करें सुजाता को अचानक हटाने से राजनीतिक दलों में छिड़ा वाकयुद्ध
नई दिल्ली , गुरुवार, 29 जनवरी 2015 (20:49 IST)
नई दिल्ली। विदेश सचिव सुजाता सिंह को कल रात अचानक उनके पद से हटाए जाने के फैसले को लेकर छिड़े राजनीतिक वाकयुद्ध में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से इस बारे में देश को स्पष्टीकरण देने की मांग की जबकि भाजपा ने इसे सरकार का अधिकार बताते हुए निर्णय का बचाव किया।
 
नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस बीच एस. जयशंकर को विदेश सचिव बनाए जाने का स्वागत करते हुए इसे 'शानदार फैसला' बताया है।
 
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह ने कहा, 'विदेश सेवा की वरिष्ठतम महिला अधिकारी को अचानक और बिना कारण उनके पद से हटा देना मोदी सरकार के इरादों और उसके द्वारा अपनाए जा रहे प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है।'
 
उन्होंने कहा कि यह गंभीर बात इसलिए भी है कि यह घटनाक्रम एसपीजी प्रमुख, डीआरडीओ प्रमुख और आईआईएम के निदेशक को इसी तरह जल्दबाजी में हटाए जाने के बाद सामने आया है।
 
उन्होंने कहा कि यह प्रशासनिक स्थिरता और प्रधानमंत्री के कार्यो के तरीके पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी क्योंकि बिना कारण के हटाए जाने की यह कार्रवाई अमेरिकी राष्ट्रपति की सफल समझी जा रही यात्रा के बाद हुई है । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को देश को स्पष्टीकरण देना चाहिए ।
 
कांग्रेस के अन्य नेता मनीष तिवारी ने ट्विटर पर लिखा, 'विदेश सचिव को बर्खास्त किया जाना कहीं देवयानी खोबरागड़े पर उनके रूख का प्रतिशोध तो नहीं है? ओबामा के दौरे के बाद उनको हटाया जाना क्या ‘इत्तेफाक’ है?’ 
 
सरकार ने कल रात सुजाता सिंह की जगह अमेरिका में भारत के राजदूत एस. जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त कर दिया। अमेरिका में खोबरागड़े की गिरफ्तारी से राजनयिक विवाद उत्पन्न हो गया था और उस वक्त सुजाता विदेश सचिव थीं।
 
उधर भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने सरकार के निर्णय का बचाव करते हुए कहा, 'मैं इस मामले में शोर-शराबे का कोई कारण नहीं देख पा रहा हूं। सरकार को यह अधिकार है कि वह किस अधिकारी को नियुक्त करना चाहती है और उसे पता है कि उसका दायित्व क्या है। और यह पहली बार नहीं हो रहा है.. पूर्व की सरकारों ने भी ऐसे फैसले किए हैं।|  
 
इस निर्णय पर कांग्रेस की आलोचना पर पलटवार करते हुए उन्होंने याद दिलाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1987 में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सार्वजनिक रूप से विदेश सचिव एपी वेंकटेश्वर को बर्खास्त कर दिया था। 
 
कोहली ने कहा मैं कोई कारण नहीं देखता कि इसे राजनीतिक मंशा से जोड़ा जाए। यह सरकार का अधिकार है। हर मामले के पीछे राजनीतिक मंशा नहीं हो सकती है। सरकार द्वारा कल देर रात सुजाता सिंह के कार्यकाल में ‘कटौती’ किए जाने के बाद विदेश सचिव बनाए गए जयशंकर ने आज सुबह अपना कार्यभार संभाल लिया।
 
वर्ष 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी जयशंकर ने कहा, ‘सरकार की प्राथमिकताएं मेरी प्राथमिकताएं हैं।’ उन्होंने अपनी नई भूमिका को 'सम्मान और बड़ी जिम्मेदारी' करार दिया।
 
अचानक विदेश सचिव बनाए जाने से पूर्व 60 वर्षीय जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत रह चुके हैं। वह चीन, सिंगापुर और चेक गणराज्य में भी राजदूत के तौर पर अपनी सेवा प्रदान कर चुके हैं।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सितंबर में अमेरिका दौरे और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की हाल में संपन्न हुई भारत यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जयशंकर को नियुक्त किए जाने का निर्णय मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल नियुक्ति समिति ने लिया।
 
अगस्त 2013 में विदेश सचिव बनीं सुजाता सिंह यह पद पाने वाली तीसरी महिला थीं और अभी उनका आठ महीने का कार्यकाल शेष था। (भाषा)

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