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फांसी पर बोले वरुण, हर दौर में तानाशाह और कातिल रहे हैं...

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नई दिल्ली , शनिवार, 1 अगस्त 2015 (16:18 IST)
नई दिल्ली। मुंबई में 1993 में हुए बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन को मौत की सजा दिए जाने को लेकर उठी बहस के बीच भाजपा सांसद वरुण गांधी ने फांसी की सजा को समाप्त करने की वकालत करते हुए कहा है कि जिन दोषियों को मौत की सजा सुनाई जाती है, उनमें से 94 फीसदी दलित या अल्पसंख्यक समुदायों के हैं।

आउटलुक में ‘द नूज कास्ट्स ए शेमफुल शैडो’ में लिखे लेख में वरण ने लिखा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए मौत की सजा एक खराब चलन है और इसमें सुधार की जरूरत है।

इससे पहले भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने मेमन के पक्ष में एक याचिका पर दस्तखत किए थे, जिस पर वित्त मंत्री अरण जेटली ने कहा था कि इस कृत्य से पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है और यह अत्यंत दुखद है।

इससे पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर के इस बयान पर भी भाजपा ने नाराजगी जताई थी कि वह इस खबर से दुखी हैं कि ‘सरकार ने एक इंसान को फांसी दे दी।’

वरुण ने लिखा कि भारत उन 58 देशों में है जहां मौत की सजा अब भी कानून में है। उन्होंने कहा कि देश को बदलते वैश्विक परिदृश्य को समझने की जरूरत है।

उन्होंने लिखा कि फांसी की सजा के सामाजिक-आर्थिक पूर्वाग्रह भी हो सकते हैं। भारत में मौत के सजायाफ्ता 75 प्रतिशत दोषी सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित तबकों से होते हैं। उन्होंने कहा, 'इनमें से 94 प्रतिशत दलित या अल्पसंख्यक होते हैं।

उन्होंने इसे बेहद क्रूर और निरंकुशतावादी प्रचलन बताया। भगत सिंह, राजगुरु से लेकर शहनवाज खान, गुरबख्श सिंह ढिल्लन और प्रेम सहगल को लाल किले पर दी गई फांसी का जिक्र करते हुए वरुण ने कहा है कि हर दौर में तानाशाह और कातिल रहे हैं।

वरुण ने लिखा, 'मौत की सजा खराब कानूनी प्रतिनिधित्व और संस्थागत पक्षपात का नतीजा रहा है।' उन्होंने कहा कि मौत की सजा अपराधों को रोकने में नाकाम रही है। शोधों में मौत की सजा और रोकथाम के बीच कोई सीधा संबंध नहीं मिला है।


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