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वसुंधरा सरकार पर 45 हजार करोड़ के खान घोटाले का आरोप

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 25 सितम्बर 2015 (17:53 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने राजस्थान सरकार पर 45 हजार करोड़ रुपए का खान घोटाला करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस्तीफे और उच्चतम न्यायालय की निगरानी में इसकी व्यापक जांच कराने की मांग की है।


कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट और विधानसभा में कांग्रेस के नेता रामेश्वर डुडी ने शुक्रवार को यहां कांग्रेस मुख्यालय में कहा कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पारदर्शिता का ढोल पीटकर निविदाओं के जरिए खदान आवंटन की बात करती है लेकिन राजस्थान में इसी पार्टी की सरकार ने निविदा आमंत्रित किए बिना और जल्दबाजी में 653 खानों का आवंटन किया है जिससे राज्य को कम से कम 45,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

उन्होंने आरोप लगाया कि वसुंधरा सरकार ने आनन-फानन में ढाई माह के भीतर अपने चेहतों को ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की नीति बनाकर निविदा मंगाए बिना इन खानों का आवंटन किया है जबकि उन लोगों को कोई आवंटन नहीं हुआ जिन्होंने 3 साल पहले आवेदन किया था।

उन्होंने कहा कि सरकार खानों के आवंटन के लिए कितनी जल्दबाजी में थी इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 31 दिसंबर 2014 को एक ही दिन में करोली खान के आवंटन के लिए 10 लोगों ने दस्तखत किए थे।

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि घोटाले में राजस्थान सरकार शामिल है और इसका प्रमाण यह है कि भ्रष्टाचार के आरोप में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अशोक सिंघवी को गिरफ्तार किया गया है। राजे के पिछले कार्यकाल में भी सिंघवी उनके प्रधान सचिव रहे और सरकार बदलने पर वे प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे लेकिन दोबारा जब राजे मुख्यमंत्री बनीं तो उन्हें फिर से प्रधान सचिव नियुक्त कर दिया गया।

पायलट ने इसे आजाद भारत में राजस्थान के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया और कहा कि 653 खानों के लिए 1 लाख बीघा जमीन का बिना निविदा आमंत्रित किए आवंटन कर दिया। इसे खनिजों की बहुत बड़ी लूट बताते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जितनी खानों का आवंटन किया है उनका मूल्य करीब 2 लाख करोड़ रुपए है लेकिन यदि उनका आवंटन निविदाओं के जरिए पारदर्शी तरीके से होता तो राज्य सरकार को कम से कम 45 हजार करोड़ रुपए का नुकसान नहीं उठाना पड़ता।

डुडी ने कहा कि राज्य सरकार से विधानसभा में जब भी पूछा गया कि उसने किस आधार पर 10-10 किलोमीटर लंबी खदानों का बिना नीलामी के आवंटन किया गया? तो इसका सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। अपने चेहतों को खान का आवंटन करके फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने तेजी दिखाई और ढाई माह में ही सभी खदानों का आवंटन कर दिया। (वार्ता)


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