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क्या है नेशनल हेराल्ड केस, जिसके चलते बढ़ सकती हैं सोनिया-राहुल गांधी की मुश्किलें

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, बुधवार, 1 जून 2022 (16:38 IST)
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन भेजा है। ईडी ने मनी लॉन्डरिंग के केस में दोनों को 8 जून को पूछताछ में शामिल होने के लिए कहा है। कांग्रेस ने इस कार्यवाही पर मोदी सरकार को घेरते हुए कहा है कि सरकार बदले की भावना में अंधी हो गई है। लगता है तानाशाह डर गया, इसलिए बीजेपी जांच एजेंसियों के माध्यम से विपक्षी दलों की आवाज दबाने की कोशिश में लगी है। आइए जानते है कि क्या है नेशनल हेराल्ड केस जिससे राहुल और सोनिया गांधी के साथ-साथ कांग्रेस की भी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। ..... 
 
क्या है नेशनल हेराल्ड केस ?
 
ये मामला 2012 का है जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने निचली अदालत में याचिका दायर करते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेस के नेताओं ने यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को गैर-कानूनी ढ़ंग से अपने अधिकार में ले लिया है। 
 
आसान भाषा में कहा जाए तो इस मामले के तहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति को केवल 50 लाख रूपए देकर अपने अधिकार में कर लेने का आरोप है। सुब्रमण्यम स्वामी के अनुसार ये सब दिल्ली में बहादुर शाह जफर रोड़ स्थित हेराल्ड हाउस की करीब 2 हजार करोड़ रुपयों की बिल्डिंग पर अवैध कब्जा करने के लिए किया गया। 
 
पंडित नेहरू की थी स्थापना : आपको बता दें कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की स्थापना जवाहलाल नेहरू द्वारा की गई थी। वर्ष 1937 में, नेहरू ने करीब 5 हजार अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को इसमें शेयर होल्डर के रूप में जोड़ा था। इस कंपनी ने साल 2008 तक हिंदी में नवजीवन, अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड और उर्दू में कौमी आवाज का प्रकाशन शुरू किया था। नेहरू की मौत के बाद इस कंपनी को कई बार घाटा हुआ। अंततः 2011 में इसकी होल्डिंग को यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया गया।  
 
यंग इंडिया लिमिटेड की शुरुआत 2010 में हुई थी। इस कंपनी के 38+38=76 प्रतिशत शेयर सोनिया और राहुल गांधी में आधे-आधे बंटे हैं। शेष 24 प्रतिशत शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास थे। इस कंपनी की शुरुआत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसके निदेशक के पद पर नियुक्त किए गए थे।  
 
शेयरधारकों का आरोप : कांग्रेस पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के शेयरधारकों ने आरोप लगाया है कि यंग इंडिया लिमिटेड ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को अपने अधिकार में लेने से पहले कोई पूर्व सूचना नहीं दी और उनके या उनके पिताओं द्वारा कंपनी में रखे गए शेयर को वर्ष 2010 में AJL ने YIL को बिना उनकी सहमति के ट्रांसफर कर दिया। 
  
पिछले 10 सालों में इस मामले के तहत पूछताछ हेतु इसमें संलिप्त कांग्रेस नेताओं को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है। लेकिन, इस मामले पर अदालत की ओर से कोई ठोस फैसला सामने नहीं आया। 
 
2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई के लिए स्वामी से इस मामले को हाईकोर्ट में दाखिल करने को कहा था। उसी साल 19 दिसंबर को निचली अदालत ने राहुल-सोनिया को इस केस में जमानत दे दी थी। इसके बाद 2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए राहुल गांधी और सोनिया गांधी समेत इस केस के सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश होने से मुक्त कर दिया था। 
 
इस साल भी कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल को कोर्ट में बुलवाकर उनके बयान दर्ज किए जा चुके है। 1 जून बुधवार को ईडी द्वारा सोनिया और राहुल गांधी को समन भेजे जाने के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का बयान आया है कि सोनिया गांधी 8 जून को पूछताछ के लिए ईडी के दफ्तर जाएंगी। राहुल गांधी अभी विदेश में है इसलिए कांग्रेस शायद उनके लिए कुछ दिनों का समय मांग सकती है।


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