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'राज्यों के खिलाफ अपराध' के मामले में केरल सबसे ऊपर

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, शुक्रवार, 21 अगस्त 2015 (15:14 IST)
भारत में पिछले सालों में उग्रवादियों और असामाजिक तत्वों ने कानून को अपने हाथों में लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसका असर दक्षिण भारत में कुछ ज्यादा ही देखने को मिला है।

हाल ही में एनसीआरबी ने अपना डाटा प्रस्तुत किया है। इसमें भारत में साल 2014 में कुल 512 मामले दर्ज किए गए। इनमें सबसे ज्यादा 72 मामले अकेले केरल में दर्ज किए गए।
 
केरल में ये मामले आईपीसी की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दर्ज किए गए हैं जिनमें देशद्रोह, सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना और विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच दुश्मनी फैलाने को लेकर मामले दर्ज किए गए हैं।
 
2014 में कुल इस तरह के 512 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें अकेले 72 मामले केरल में दर्ज किए गए हैं, जो कुल मामलों का 14 प्रतिशत है। केरल के बाद दूसरा नंबर पर असम है जहां पर इस तरह के 11 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए हैं वहीं तीसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां पर नौ प्रतिशत मामले दर्ज किए गए हैं। 
 
केरल में दर्ज किए गए 72 मामलों में से 65 मामले धर्म, जाति, जन्म के स्थान के आधार पर व दुशमनी फैलाने के हैं। इसके अतिरिक्त केरल मे पांच मामले देशद्रोह के भी दर्ज किए गए हैं। 
 
वहीं जम्मू कश्मीर की बात करें जिसका खुद का पीनल कोड (रनबीर पीनल कोड के नाम से जाना जाता) है। वहां पर कुल 5 इस तरह के मामले सामने आए हैं। ये सभी मामले प्रशासन के खिलाफ विरोध जताने को लेकर दर्ज किए गए हैं। हालांकि राज्य में देशद्रोह का मुकदमा किसी पर दर्ज नहीं किया गया है।
 
असम में इस तरह के कुल 56 मामले दर्ज किए गए हैं, जो देश में दूसरे नंबर पर है। इनमें से ज्यादातर मामले सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के प्रयास से जुड़े हुए हैं।

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