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बांग्लादेशी लेखिका को मिला था चेतावनीभरा खत

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नई दिल्ली , रविवार, 26 अप्रैल 2015 (18:36 IST)
नई दिल्ली। कट्टरपंथियों के कोपभाजन का शिकार केवल तस्लीमा नसरीन ही नहीं बन रही हैं। सुर्खियों से दूर एक और लेखिका सेलिना हुसैन को भी पिछले साल चेतावनीभरा गुमनाम खत मिला था।
 
नसरीन 1990 के शुरुआती वर्षों के बाद मीडिया सुर्खियों में बनी रहीं लेकिन मीडिया की तीक्ष्ण नजर से दूर बांग्लादेश की एक और लेखिका हुसैन को पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के उत्पीड़न के मुद्दे पर अपनी लघु कहानियों और उपन्यासों की वजह से कट्टरपंथियों से एक गुमनाम चेतावनीभरा खत मिला।
 
मई 2014 में हुसैन की जब बांग्लादेश चिल्ड्रेन एकेडमी की प्रमुख के तौर पर नियुक्ति की जा रही थीं तो बधाई संदेशों में एक गुमनाम खत मिला जिसमें उनसे नकाब पहनकर एक मुस्लिम महिला की तरह बर्ताव करने को कहा गया।
 
यह पहली बार है, जब मासिक पत्रिका ‘द इक्वेटर लाइन’ के नवीनतम अंक में प्रकाशित अपने आलेख ‘द बोटमेंस वाइफ एंड अदर शॉर्ट स्टोरीज’ में हुसैन ने चेतावनीभरे गुमनाम खत के बारे में दुनिया को अवगत कराया है।
 
हुसैन ने लिखा है कि खत टाइप करने वाला गुमनाम है... उसे लिंग के दायरे में नहीं बांधा जा सकता... महिला हो सकती है या कोई पुरुष, पर मंशा स्पष्ट है- मुझे धमकाना। बहरहाल, यह पहली बार नहीं है, जब हुसैन कट्टरपंथियों के निशाने पर आई हैं।
 
हुसैन की स्टोरी ‘मरियम डज नोट नो व्हाट रेप इज’ के प्रकाशन के बाद 1998 में कट्टरपंथियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को लिखा था कि सरेआम उन्हें 80 कोड़े लगाए जाने चाहिए। (भाषा)

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