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मुंबई बमकांड : धमाके से फांसी तक

हमें फॉलो करें मुंबई बमकांड : धमाके से फांसी तक
, गुरुवार, 30 जुलाई 2015 (11:32 IST)
नई दिल्ली। 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन को नागपुर जेल में फांसी दे दी गई। इस मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है- 
12 मार्च 1993 : मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके हुए। 
30 जून : दो आरोपी - मोहम्मद जमील और उस्मान झनकनन - इस मामले में सरकारी गवाह बने।
14 अक्टूबर : उच्चतम न्यायालय ने दत्त को जमानत दी।
23 मार्च 1996 : न्यायमूर्ति जे एन पटेल का तबादला। उन्हें उच्च न्यायालय के जज के तौर पर तरक्की दी गई।
29 मार्च : पी डी कोडे को इस मामले की सुनवाई के लिए टाडा की विशेष अदालत का न्यायाधीश नामित किया गया।
अक्टूबर 2000 : 684 सरकारी गवाहों से जिरह संपन्न।
09 मार्च-18 जुलाई 2001 : अभियुक्तों ने अपने बयान दर्ज कराए।
09 अगस्त : अभियोजन ने बहस की शुरूआत की।
18 अक्टूबर : अभियोजन ने अपनी बहस पूरी की।
09 नवंबर : बचाव पक्ष ने बहस की शुरुआत की।
22 अगस्त 2002 : बचाव पक्ष ने अपनी बहस पूरी की।
20 फरवरी 2003 : दाउद के गिरोह के सदस्य एजाज पठान को अदालत में पेश किया गया।
20 मार्च 2003 : मुस्तफा दोसा की रिमांड कार्यवाही और सुनवाई को अलग कर दिया गया।
सितंबर 2003 : सुनवाई संपन्न। अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।
13 जून 2006 : गैंगस्टर अबु सलेम की सुनवाई अलग से हुई।
10 अगस्त : न्यायाधीश पी डी कोडे ने कहा कि 12 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा।
12 सितंबर : अदालत ने फैसला देना शुरू किया। मेमन परिवार के चार सदस्यों को दोषी करार दिया गया और तीन को बरी किया गया। 12 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई जबकि 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
01 नवंबर 2011 : 100 दोषियों के साथ-साथ राज्य की ओर से दाखिल अपीलों पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई शुरू की।
2007: कई बार सुनवाई के बाद टाडा कोर्ट ने याकूब को फांसी की सजा सुनाई।
29 अगस्त 2012 : उच्चतम न्यायालय ने अपीलों पर अपना आदेश सुरक्षित रखा।
21 मार्च 2013 : उच्चतम न्यायालय ने टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन को सुनाई गई मौत की सजा बरकरार रखी और 10 दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी। 18 में से 16 दोषियों की उम्रकैद बरकरार रखी गई।
मई 2014 : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने याकूब की दया याचिका खारिज की।
02 जून 2014 : उच्चतम न्यायालय ने उस अर्जी पर सुनवाई करते हुए याकूब को मौत की सजा देने पर रोक लगाई जिसमें मांग की गई थी कि मौत की सजा के मामलों में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई चेंबरों की बजाय खुली अदालत में की जाए।
30 जुलाई 2014 : याकूब की पहली पुनरीक्षण याचिका खारिज।
09 अप्रैल 2015 : याकूब की दूसरी पुनरीक्षण याचिका खारिज।
मई, 2015: याकूब ने सुप्रीम कोर्ट में सुधार याचिका दायर की। 
21 जुलाई, 2015 : उच्चतम न्यायालय ने सुधार याचिका खारिज की। 

22 जुलाई, 2015 : उच्चतम न्यायालय में डेथ वारंट को चुनौती। 
 27 जुलाई, 2015 : उच्चतम न्यायालय में याकूब की अर्जी पर सुनवाई।  
28 जुलाई, 2015 : उच्चतम न्यायालय के एक बेंच के जजों की राय बंटी. तीन सदस्यों की नई बेंच का गठन।  
29 जुलाई, 2015 : उच्चतम न्यायालय ने डेथ वारंट के खिलाफ अपील को किया खारिज। फांसी की सजा बरकार। 
 - महाराष्ट्र के राज्यपाल ने की दया याचिका खारिज। 
 राष्ट्रपति ने दोबारा दायर दया याचिका खारिज की 
 29-30 जुलाई, 2015   
- प्रशांत भूषण और कुछ वकील मुख्य न्यायाधीश के घर पहुंचे। 
- देर रात उच्चतम न्यायालय खुला।   
- उच्चतम न्यायालय में तड़के तीन बजकर 20 मिनट पर सुनावई शुरू हुई। तड़के पांच बजे के बाद फैसला आया। फांसी निश्चित समय पर हो। 
 30 जुलाई 2015-  याकूब को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। (वार्ता) 

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