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योग में श्‍लोक के बजाय अल्लाह का नाम ले सकते हैं मुस्लिम

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नई दिल्ली , गुरुवार, 11 जून 2015 (22:59 IST)
नई दिल्ली। विवाद से बचने के लिए योग के आधिकारिक कार्यक्रम से ‘सूर्य नमस्कार’ को हटाने के बाद सरकार ने गुरुवार को मुस्लिमों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि इस मौके पर श्‍लोक पढ़ना अनिवार्य नहीं है।
 
राजपथ पर 21 जून को आयोजित समारोह के लिए समन्वय का काम कर रहे आयुष मंत्रालय के मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि मुसलमान आयोजन के दौरान शलोक पढ़ने के बजाय अल्लाह का नाम ले सकते हैं।
 
कुछ अल्पसंख्यक समूहों ने जहां सरकार द्वारा ऐसा आयोजन किए जाने और खासतौर पर सूर्य नमस्कार शामिल होने की बात का विरोध किया था, वहीं आज नाइक से मुलाकात करने वाले कुछ मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि योग का विरोध कर रहे लोग मानवता के दुश्मन हैं और योग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
 
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि योग के नियमों पर निर्णय लेने वाली एक समिति ने सूर्य नमस्कार को शामिल नहीं किया है क्योंकि वे इसमें सरल आसन चाहते हैं जिन्हें कोई भी कर सके।
 
नाइक ने आज कहा, हमने विवाद से बचने के लिए सूर्य नमस्कार को शामिल नहीं किया। और इसे करना कठिन भी है, लेकिन सूर्य नमस्कार धार्मिक नहीं है। हम चाहते हैं कि पूरा आयोजन सुगमता से हो। 
 
नाइक ने मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कहा, श्‍लोक अनिवार्य नहीं हैं। श्‍लोक केवल प्रार्थनाएं हैं लेकिन ये अनिवार्य नहीं हैं। वे श्‍लोक पढ़ने के बजाय अल्लाह का नाम भी ले सकते हैं। मैं मुस्लिमों से अनुरोध करता हूं कि कार्यक्रम में भाग लें और देश को संगठित करें। 
 
सूर्य नमस्कार को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कुछ संगठनों ने विरोध दर्ज कराया था और कहा था कि यह आस्था के खिलाफ है। परिपत्र में कहा गया है कि राज्य के सभी नागरिक योग की उपयोगिता को जान सकें और इसे अपनाकर शारीरिक रूप से स्वस्थ रहें तथा समाज में सुखमय जीवन जी सके, यह इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य है। 
 
परिपत्र में कहा गया है कि योग दिवस के कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों को सफेद, ढीले शालेय परिधान में उपस्थित होना है। विशेष रूप से बालकों को हॉफ पेंट-शर्ट और बालिकाओं को सलवार-कुर्ता पहनकर आना अनिवार्य है। सभी छात्र-छात्राओं को मोजे पहनकर भी आना होगा। 
 
योग अभ्‍यास आसानी से किया जा सके, इस उद्देश्य से बालिकाओं की चोटी गुंथी हुई होनी चाहिए, आयोजन में कक्षा पांचवीं से बारहवीं तक के बच्चे योग अभ्‍यास कर सकेंगे। कक्षा पांचवीं से नीचे कक्षाओं के बच्चे योग अभ्‍यास में शामिल नहीं होंगे, लेकिन वे दर्शक के रूप में आयोजन स्थल पर उपस्थित रह सकते हैं।
 
परिपत्र में यह भी कहा गया है कि जिला और विकासखंड मुख्यालय स्तर पर कार्यक्रम स्थल का निर्धारण जिला कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। सार्वजनिक मैदान या किसी बड़े स्कूल के प्रांगण, पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो, उसका उपयोग आयोजन के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा प्रत्‍येक स्कूल में भी 21 जून को योग अभ्‍यास कराया जाएगा।
 
परिपत्र में अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि जिला स्तर पर होने वाले आयोजन में जिले के प्रभारी मंत्री को आमंत्रित किया जाए, उनके साथ-साथ क्षेत्रीय सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद पंचायत अध्यक्ष, पंच-सरपंच और अन्य जनप्रतिनिधियों सहित नागरिकों को भी आयोजन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाए।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने हर साल 21 जून को विश्‍व योग दिवस मनाने का निर्णय लिया है। (भाषा)

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