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योगेन्द्र यादव बोले, क्या आप अन्य पार्टियों जैसी बन जाएगी...

हमें फॉलो करें योगेन्द्र यादव बोले, क्या आप अन्य पार्टियों जैसी बन जाएगी...
नई दिल्ली , शुक्रवार, 27 मार्च 2015 (13:41 IST)
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी में चल रहे विवाद पर योगेन्द्र यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि लोगों ने देखा था कि यह सबसे अलग पार्टी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पार्टी आम पार्टियों जैसी बन जाएगी। 
 
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आम आदमी पार्टी आंदोलन से पैदा हुई पार्टी है। 
 
योगेन्द्र यादव ने कहा कि आज भी आप में आतंरिक लोकतंत्र पर चर्चा होती है। उन्होंने कहा कि एक महीने में बहुत कुछ टूटा है। जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं वे हमारे व्यक्तिगत मुद्दे नहीं है। ये वे मुद्दे हैं जिसके लिए हजारों लोग रामलीला मैदान पर इकट्ठे हुए थे।
 
उन्होंने कहा कि एक महीने में बहुत कुछ टूटा है। यादव ने कहा कि उन्होंने कहा कि आरोपों की आतंरिक लोकपाल से जांच होना चाहिए। 
 
उन्होंने कहा कि आप में आरटीआई लागू होना चाहिए। वेबसाइट से पार्टी का संविधान हटाया। 
 
उन्होंने कहा कि मैंने चिट्ठी लिखी थी लेकिन उसे हमारा इस्तीफा मान लिया गया। जो भी मुद्दा उठाया जाता है उसे केजरीवाल से जोड़ दिया जाता है।
 
योगेंद्र यादव ने कहा कि लोगों ने देखा था कि यह सबसे अलग पार्टी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पार्टी आम पार्टियों जैसी बन जाएगी। 
अगले पन्ने पर... प्रशांत भूषण का केजरीवाल पर हमला...
 

प्रशांत भूषण ने कहा कि बार बार हमसे इस्तीफे की मांग की जाती थी। केजरीवाल को एसएमएस भेजा पर वे मिलने के लिए तैयार नहीं हुए। अरविंद तरफ से कहा जा रहा था कि हम इन लोगों के साथ काम नहीं कर सकते। या तो यह पार्टी चला लें और मैं पार्टी से अलग हो जाऊं। या मैं पार्टी चलाऊं और आप अलग हो जाओं।
 
प्रशांत ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद अरविंद कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाना चाहते थे। पीएसी ने 5 ने प्रस्ताव का विरोध किया और 4 ने समर्थन। केजरीवाल ने कहा कि मैं आप संयोजक हूं और मैं चाहता हूं कि दिल्ली में हम कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाए।
 
उन्होंने कहा कि गर्ग का दावा सही है, केजरीवाल कांग्रेस को तोड़कर दिल्ली में सरकार बनाना चाहते थे। हम बताते नहीं थे, क्योंकि हम कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने के विरोधी थे।
 
प्रशांत ने कहा कि नियत का साफ होना जरूरी नहीं होता, नियत के साथ पार्टी में पारदर्शिता, आतंरिक लोकतंत्र और स्वराज भी जरूरी।
 
हमने कहा था कि हमने पांच मुद्दे रखे थे और कहा था कि पांचों मुद्दे माने तो हम इस्तीफा दे देंगे। हमारी एक भी बात नहीं मानी गई और कहा गया कि सारी बातें मान ली गई और इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। अगर हमारा प्रस्ताव मान लिया तो हम इस्तीफा दे देंगे।

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