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प्रधानमंत्री का नैतिक शिक्षा पर जोर

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नई दिल्ली , मंगलवार, 1 जनवरी 2013 (21:07 IST)
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महिलाओं के खिलाफ बढ़ती अपराध की घटनाओं के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्कूलों में शुरू से ही लैंगिक समानता और महिलाओं के आदर का पाठ पढ़ाने की सलाह दी है, लेकिन एनसीईआरटी ने पूर्व में शुरू की गई एक ऐसी ही योजना को यह कहकर आगे बढ़ाने में असमर्थता जताई है कि धन की कमी के कारण वह ऐसा करने की स्थिति में नहीं है।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से स्कूलों में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने और पाठ्यक्रम में शुरू से ही लैंगिक समानता एवं महिलाओं के प्रति आदर की भावना का पाठ पढ़ाने की पहल करने को कहा है।

वहीं, स्कूली स्तर पर पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने एवं सुधार करने वाली संस्था राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) का कहना है कि धन की कमी के कारण परिषद नैतिक शिक्षा को मजबूत बनाने की योजना को आगे बढ़ाने की स्थिति में नहीं है।

एनसीईआरटी ने अपनी वेबसाइट पर स्कूलों और गैर सरकारी संगठनों को लिखा है कि एनसीईआरटी धन उपलब्ध नहीं होने के कारण अभी इस योजना को आगे लागू करने की स्थिति में नहीं है। इस संबंध में वे वित्तीय मदद के लिए ताजा प्रस्ताव एनसीईआरटी, एचआरडी मंत्रालय को नहीं भेजें।

एनसीईआरटी ने 2011 में ‘नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने’ की योजना शुरू की थी जिसके तहत चुनी गईं सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं को ऐसे कार्यों के लिए वित्तीय मदद देने का प्रावधान किया गया था। इस योजना का उद्देश्य संविधान की भावना के अनुरूप बच्चों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना है ताकि सौहर्दपूर्ण एवं समतामूलक समाज का निर्माण किया जा सके। (भाषा)

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