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(चतुर्दशी तिथि)
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  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
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नवरात्रि में पढ़ें सप्तशती के यह चमत्कारी मंत्र

हमें फॉलो करें नवरात्रि में पढ़ें सप्तशती के यह चमत्कारी मंत्र
मार्कण्डेय पुराण में ब्रह्माजी ने मनुष्यों के रक्षार्थ परमगोपनीय साधन, कल्याणकारी देवी कवच एवं परम पवित्र उपाय संपूर्ण प्राणियों को बताया, जो देवी की नौ मूर्तियां-स्वरूप हैं, जिन्हें 'नवदुर्गा' कहा जाता है, उनकी आराधना आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक की जाती है। 
 

 
श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ मनोरथ सिद्धि के लिए किया जाता है, क्योंकि श्री दुर्गा सप्तशती दैत्यों के संहार की शौर्य गाथा से अधिक कर्म, भक्ति एवं ज्ञान की त्रिवेणी हैं। यह श्री मार्कण्डेय पुराण का अंश है। यह देवी महात्म्य धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्रदान करने में सक्षम है। सप्तशती में कुछ ऐसे भी स्रोत एवं मंत्र हैं, जिनके विधिवत पारायण से इच्छित मनोकामना की पूर्ति होती है।

 सर्वकल्याण हेतु - 
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । 
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥ 

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 बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप फलदायी है-
 
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भव‍िष्यंति न संशय॥

 आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया है- 
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। 
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
 
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विपत्ति नाश के लिए-
शरणागतर्द‍िनार्त परित्राण पारायणे। 
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥

 ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, संपदा प्राप्ति एवं शत्रु भय मुक्ति के लिए- 
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
 
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 विघ्ननाशक मंत्र -
सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी।
एवमेव त्याया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥

जाप विधि- नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के बाद संकल्प लेकर प्रातः स्नान करके दुर्गा की मूर्ति या चित्र की पंचोपचार या दक्षोपचार या षोड्षोपचार से गंध, पुष्प, धूप दीपक नैवेद्य निवेदित कर पूजा करें। मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। 
 
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शुद्ध-पवित्र आसन ग्रहण कर रुद्राक्ष या तुलसी या चंदन की माला से मंत्र का जाप एक माला से पांच माला तक पूर्ण कर अपना मनोरथ कहें। पूरी नवरात्रि जाप करने से वांच्छित मनोकामना अवश्य पूरी होती है। समयाभाव में केवल दस बार मंत्र का जाप निरंतर प्रतिदिन करने पर भी मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।

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