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तब देवरानी-जेठानी, अब भाई-बहन टकराए

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विभूति शर्मा

देश को पहला प्रधानमंत्री देने वाले गांधी नेहरू परिवार के विवाद हमेशा ही ख़बरों में रहते हैं, लेकिन इस तरह से नहीं जैसे इस बार हैं. इस बार दो चचेरे भाई बहन प्रियंका और वरुण गांधी के बयान अखबारों और टीवी पर सुर्खियां बटोर रहे हैं। संजय गांधी की मौत के बाद मेनका गांधी की महत्वाकांक्षा के चलते इस परिवार में विवाद उत्पन्न हुआ था। मेनका संजय की अमेठी सीट से स्वयं को दावेदार मानकर चल रही थीं, जबकि इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसके साथ ही मेनका गांधी का इंदिरा परिवार से निष्कासन या निर्वासन तय हो गया।

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परिवार से बाहर हुई मेनका ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति की ओर कदम बढ़ाए। 1984 में मेनका सीधे राजीव गांधी के मुकाबले अमेठी चुनाव लड़ने उतर गईं। हालांकि बुरी तरह हारीं और परिवार की खाई और गहरी हो गई। इस खाई को पाटने के प्रयास पिछले करीब 34 वर्ष में बिलकुल भी नहीं किए गए। इंदिरा गांधी की दो बहुओं सोनिया और मेनका ने खाई को और चौड़ा किया। बल्कि उनके बीच तो लगातार अस्तित्व का संघर्ष चल रहा है, जिसे इस लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी और वरुण गांधी के वाकयुद्ध ने निचले स्तर तक पहुंचा दिया है।

अपनी मुस्कराहट और शालीनता से जनता का दिल जीतती आई प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने चचेरे भाई संजय गांधी के पुत्र वरुण गांधी को परिवार का विश्वासघाती बताकर कड़वाहट घोली है। उनके अनुसार लोकसभा चुनाव विचारधारा की लड़ाई है। यह परिवार की चाय पार्टी नहीं है। वरुण राह से भटक गया है। इस तरह के बयान पर जवाबी हमला तो होना ही था वह हुआ भी। हालांकि वरुण गांधी ने संयम बरतते हुए कहा मैंने दस वर्ष की राजनीति में शालीनता की सीमा नही लांघी। हम दूसरों के सम्मान में ही अपना सम्मान समझते हैं, इसे हमारी कमजोरी न समझा जाए।

लेकिन, वरुण की मां मेनका इतना संयम नही बरत सकीं उन्होंने तत्काल जवाबी हमला बोलते हुए कहा प्रियंका को वरुण की विचारधारा पर बोलने के पहले रॉबर्ट वाड्रा की विचारधारा पर बोलना चाहिए। उल्लेखनीय है की कुछ दिन पूर्व ही मेनका ने सोनिया गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि सोनिया को दुनिया की छठी सबसे धनी महिला माना गया है। यह पैसा कहां से आया दहेज़ में तो वे एक पैसा भी नही लाई थीं।

अभी तक तो यह बयानबाजी गांधी परिवार के सदस्यों के बीच ही चल रही थी, लेकिन विवादास्पद बयानों के लिए मशहूर सुब्रमण्यम स्वामी ने एक घातक बयान देकर आग में पेट्रोल डाल दिया। स्वामी का बयान था प्रियंका को चुनाव न लड़ाकर कांग्रेस ने अच्छा ही किया क्योंकि शाम के बाद वे (शराब पीकर) आपे में नहीं रहतीं और उस वक्त उनके पति रॉबर्ट वाड्रा उनका पूरा साथ देते हैं। स्वभाविकत: इस बयान पर कांग्रेसी भड़क उठे और स्वामी के निवास पर प्रदर्शन करने जा पहुंचे।

दरअसल इस चुनाव में कांग्रेस का पराभव तय माना जा रहा है ऐसे में यह सीधे तौर पर अस्तित्व का संघर्ष बन गया है, चूंकि गांधी नाम इस देश में सम्मान का सूचक बन गया है और इसका लाभ इंदिरा के बाद अब तक राजीव और सोनिया को मिला है। कुछ हद तक राहुल भी उपकृत हुए हैं, जबकि संजय की मौत के बाद मेनका इस लाभ से वंचित रही हैं। अब अगर मोदी सरकार बनती है तो गांधी नाम का लाभ मेनका व वरुण की ओर जाएगा। यही आशंका शायद विवाद की जड़ बन रही है। निष्कर्ष कुछ भी निकले लेकिन इस विवाद ने एक प्रतिष्ठित परिवार की साख को बट्टा तो लगा ही दिया है।

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