रायबरेली। रायबरेली से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी अजय अग्रवाल ने कहा कि श्रीमती सोनिया गांधी बार-बार अमेरिका जाती हैं और यह प्रचारित किया जाता है कि कोई घातक बीमारी के इलाज के लिए अमेरिका जा रही हैं जबकि आरोप है कि वह इस देश का लाखों-करोड़ों के घोटालों का रुपया ठिकाने लगाने जाती हैं। अगर उनको वास्तव में कोई घातक बीमारी है तो रायबरेली की जनता को उसे जानने का अधिकार है। सोनिया जी जितने दिन भी अमेरिका में गई हैं या जाकर रहीं हैं, उसका 10 प्रतिशत भी रायबरेली में नहीं आई।
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अजय अग्रवाल का कहना है कि कागजों में तो कांग्रेस सरकार तथा उनकी संसद सोनिया गांधी रायबरेली को वीवीआईपी जिले की मान्यता देती हैं जबकि हकीकत इसके एकदम उलटी है, मूलभूत सुविधाओं की दृष्टि से रायबरेली देश मे 55वें एवं मानव विकास की दृष्टि से 67वें नंबर पर हैं। यूपी में 10 सबसे गरीब शहरों की श्रेणी में एक रायबरेली एक है।
रायबरेली से भाजपा प्रत्याशी अजय अग्रवाल ने कहा कि मुझे बहुत आश्चर्य है कि मैं जिस जिले से चुनाव लड़ रहा हूं, उसकी सर्वेसर्वा देश की सुपर प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ देश ही नहीं विश्व की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक हैं, लेकिन हकीकत में उन्होंने अपनी शक्ति देश व क्षेत्र के विकास के लिए प्रयास नहीं किया बल्कि इसको कमजोर बनाने, देश को लूटने एवं लोगों को गरीब बनाए रखने में लगाई है।
उन्होंने आगे बताया कि ह्यूमन डेवलपमेंट (मानव विकास) की दृष्टि में प्रदेश के 70 जिलों में रायबरेली 55वें नबंर पर है तो मूलभूत सुविधाओं के उपलब्ध होने पर यह जिला 67वें नंबर पर, यह वाकई गंभीर प्रश्न है। यहां की सांसद महोदया सांसद निधि का 66 प्रतिशत राशि ही खर्च नहीं कर पाई हैं पिछले 5 सालों में, और तो और शायद बमुश्किल 8-10 बार शहर में कदम रखा है। अपने कार्यकाल में और संसद में एक प्रश्न भी नहीं उठाया, न तो देश के बारे में और न ही रायबरेली के बारे में।
उन्होंने कहा कि यहां पर लगभग 70 प्रतिशत लोग कुपोषण का शिकार हैं जो कि उड़ीसा, झारखंड से भी ज्यादा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार यह जिला उत्तर प्रदेश के 10 सबसे गरीब जिलों की श्रेणी में आता है। यहां के गांवों में 58प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे आते है।
विकास के नाम रेल कोच फैक्ट्री की हकीकत सबके सामने है। 1500 गरीब परिवारों की जमीन लेने के साथ उनको वादा किया गया था कि उनको नौकरी मिलेगी, लेकिन 150 परिवारों को नौकरी मिली वो भी रेलवे में इधर-उधर शहरों में, उसमें भी एक ग्रेजुएट लड़का रेलवे ट्रैक को साफ करने का काम करता है, वाकई लोगों में आश्चर्य, मानसिक शोषण बयां करता है। मीडिया की खबरों में आने के लिए बने-बनाए 20 कोचों को यहां लाकर उन्हें रंग-रोगन कर खबरों में छपने की अति निम्नस्तीय हरकत की गई।
पिछले 10 सालों में यहां की लगभग 2312 में से 1000 यानी 40 प्रतिशत से ज्यादा लघु एवं मध्यम इकाईयां बंद हो गई। 12 में से 6 बड़े उद्योगों पर भी ताला लग चुका हैं। रोजगार तो मिला नहीं जबकि 10,000 से ज्यादा लोग पिछले कुछ सालों में बरोजगार हो गए।
रोजगार की गारंटी देने का दम रखने वाली सरकार ने अपने ही जिले में 2.50 लाख लोगों का जॉबकार्ड दिए जबकि 10,000 परिवारों को ही पूरे 100 दिन काम मिल पाया। अगर हम संपूर्ण विकास दृष्टि पर मापें तो रायबरेली क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार 638 जिलों में 391 नंबर पर आता है। क्या कोई वीवीआईपी जिला इतना पिछड़ा हो सकता है? अब यहां की जनता के सामने सोनिया गांधी के विकास का काला चिट्ठा है, उनको अब यह समझना है कि उनको कोरे वायदे चाहिए या फिर वास्तविक विकास, वो समृधि होना चाहते या फिर इस गांधी परिवार द्वारा इमोशनल अत्याचार का शिकार हैं।