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अनंतनाग में महबूबा और महबूब के बीच मुकाबला

-सुरेश एस डुग्गर

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अनंतनाग (जम्मू कश्मीर)। जिस अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र की अधिकतर विधानसभा सीटों पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अर्थात पीडीपी का ही कब्जा है, वहां पीडीपी की ही इज्जत दांव पर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नेकां को इस बार इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है जिसने इस क्षेत्र से तीन बार जीत हासिल की है। पीडीपी की परेशानी यह है कि पीडीपी को लोग सिर्फ मुफ्ती परिवार के नाम से जानते हैं और इस बार खुद मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी महबूबा मुफ्ती इस बार मैदान में हैं जिन्होंने 2004 के लोकसभा चुनावों में इस सीट से फतह हासिल की थी। कुल 11 उम्मीदवार अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र से मैदान में हैं, लेकिन सही मायनों में मुकाबला पीडीपी की महबूबा मुफ्ती तथा नेशनल कांफ्रेंस के डॉक्‍टर महबूब बेग के बीच है। वर्ष 2009 में महबूब बेग इस सीट से विजयी हुए थे जबकि 2004 में भी महबूब बेग मैदान में थे लेकिन पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती से हार गए थे।

आंकड़ों के मुताबिक भी इस संसदीय क्षेत्र पर अभी तक तीन बार कांग्रेस तथा 6 बार नेशनल कांफ्रेंस कब्जा जमा चुकी है। जबकि एक बार जनता दल के सांसद मुहम्मद मकबूल डार नेशनल कांफ्रेंस की अनुपस्थिति के कारण कब्जा जमाने में कामयाब रहे थे। हालांकि महबूबा मुफ्ती के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद भी इस क्षेत्र से पिछली बार 1999 के चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। अनंतनाग पीडीपी के संरक्षक तथा अध्यक्षा का गृह कस्बा भी है। इतना जरूर है कि 1998 के चुनावों में महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद कांग्रेस की टिकट पर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व संसद में कर चुके हैं।

मुफ्ती सईद ने 1998 के लोकसभा चुनावों के दौरान 52 हजार मतों से जीत हासिल की थी। कुल 2,28,597 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था और मतदान का प्रतिशत 28.15 था। तब उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस के प्रत्याशी साहित्यकार मुहम्मद युसूफ टेंग को हराया था। इस संसदीय क्षेत्र से निर्वतमान सांसद महबूब बेग चुनाव मैदान में हैं जिन्होंने पिछली बार 148317 मत हासिल कर मात्र 5224 मतों से पीडीपी के पीर मुहम्मद हुसैन को हराया था। इतना जरूर था कि कश्मीर घाटी के अन्य संसदीय क्षेत्रों की ही तरह इस क्षेत्र से भी कोई स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव जीत नहीं सका तथा 1980 के बाद कोई प्रत्याशी दूसरी बार सांसद नहीं बन पाया। पर इस बार मुफ्ती परिवार के ही एक सदस्य ने मैदान में उतरकर इस मिथ्य को तोड़ने की कोशिश की है।

इस क्षेत्र के प्रति यह भी नहीं कहा जा सकता है कि यह किसी राजनीतिक पार्टी विशेष का गढ़ रहा हो क्योंकि इस क्षेत्र से 6 बार ही नेशनल कांफ्रेंस विजयी हुई है तो तीन बार कांग्रेस जबकि एक बार जनता दल व एक बार पीडीपी का उम्मीदवार भी मैदान मार चुका है। इतना जरूर है कि यह आतंकवादियों का गढ़ जरूर माना जाता रहा है। वर्ष 1996 में जनता दल के प्रत्याशी मुहम्मद मकबूल डार ने कांग्रेस के प्रत्याशी ताज मोहिउद्दीन को 58084 मतों से हरा दिया था। हालांकि इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस मैदान में इसलिए नहीं थी क्योंकि उसने इसका बहिष्कार किया था जिस कारण मुकाबला कांग्रेस तथा जनता दल के बीच ही था।

लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। मुकाबला सही मायनों में नेशनल कांफ्रेंस के डॉक्‍टर महबूब बेग तथा पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती के बीच है। इतना जरूर है कि नेकां प्रत्याशी अपनी जीत को सुनिश्चित इसलिए भी मान रहे हैं क्योंकि उन्हें यह विश्वास है कि आतंकवादियों के चुनाव बहिष्कार के कारण बहुत ही कम लोग मतदान करने के लिए निकलेंगे तथा कांग्रेस के गठबंधन के कारण वह कांग्रेसियों के वोट भी हासिल कर लेंगे। यही कारण है कि मुफ्ती अलगाववादी ताकतों से मतदान बहिष्कार के आह्वान को वापस लेने की अपील कर रहे हैं।

इस बार कुल 11 उम्मीदवारों में एक ही महिला प्रत्याशी हैं। चुनाव मैदान में उतरने वाले 11 प्रत्याशियों में से 9 ही राजनीतिक दलों से संबद्ध रखते हैं तो 2 स्वतंत्र उम्मीदवार हैं। पिछले चुनावों में इस क्षेत्र से किस्मत आजमाने वाले उम्मीदवारों की संख्या 13 थी, जिनमें कोई महिला प्रत्याशी नहीं थी तथा 3 स्वतंत्र उम्मीदवार भी थे। अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में कुल 12.74 लाख मतदाता हैं जिनमें 6.02 लाख महिला मतदाता हैं। जबकि कुल 16 विधानसभा हल्कों में 1615 मतदान केंद्रों की स्थापना की गई है।

मजेदार बात यह है कि इस क्षेत्र के करीब 50 हजार मतदाता डाक मतपत्रों का इस्तेमाल करेंगें जो कश्मीरी विस्थापितों के नाम से जाने जाते हैं तथा इस समय जम्मू सहित देश के अन्य भागों में रह रहे हैं। यही कारण है कि बहिष्कार की स्थिति में प्रत्याशियों का भाग्य अन्य संसदीय क्षेत्रों की ही तरह कश्मीरी विस्थापितों के मतों पर टिक जाता है।

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