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अमेरिका में नरेन्द्र मोदी मंत्र..?

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अमेरिका के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी की सफलता इस बात से तय होगी कि वे अमेरिका को क्या विशेष और अलग से दे सकते हैं? इस संदर्भ में संभव है कि अमेरिका भारत को 2014 बाद के अफगानिस्तान में कोई बड़ी भूमिका सौंपना चाहे। और यह भूमिका लोगों और साधनों को जुटाने, काम में लगाने की हो सकती है। इसी तरह संभव है कि ओबामा के पास आईएसआईएस विरोधी गठबंधन में कोई छोटी भूमिका हो सकती है। उल्लेखनीय है कि आईएसआईएस विरोधी अमेरिकन अभियान को सऊदी अरब जैसे अरब देशों का सहयोग हासिल है।
 
इसके अलावा, अमेरिका की ओर से भारत को जो उपहारों का थैला मिलेगा वह बहुत बडा और भारी भरकम हो सकता है। भारत-अमेरिकी संबंधों को एक नई दिशा देने वाले एश्ली टेलिस संभवत: उन चीजों की जानकारी दे सकते हैं जो कि भारत को दिए जाने का प्रस्ताव हो। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि ओबामा, प्रधानमंत्री मोदी को नई पीढ़ी के विमान विकसित करने की तकनीक देने का वादा कर सकते हैं। साथ ही, वे भारत को बड़ी मात्रा में तेल और गैस की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की बात कर सकते हैं। या फिर परमाणु समझौते के तहत भारत को बहुपक्ष‍ीय परमाणु अप्रसार समझौते का हिस्सा बनने को कहें। साइबर डिफेंस एक ऐसा क्षेत्र है जो कि दोनों देशों के बीच सार्थक सहयोग का क्षेत्र साबित हो सकता है।
 
कहने का अर्थ है और ऐसी उम्मीद करना चाहिए कि दोनों नेता एक दूसरे की आवाज के उतार चढ़ाव में ऐसी गहराई और वास्तविकता पा सकें कि दोनों ही अतिरिक्त देने को राजी हो जाएं। वास्तव में हमें या उस इंच की जरूरत नहीं है जो कि हमें चीन से हासिल हुई है वरन हमें मीलों तक जाना है जो कि अतिरिक्त, आश्चर्यजनक और अपूर्व हो जो कि भारत के पांच क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करे तो भारत को भी अमेरिका के पांच क्षेत्रों की जरूरतों को देखना होगा।
 
इस संबंध में सबसे बड़ी जरूरत है कि भारत को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अंतर्गत एक ट्रेड फैसिलिटेशन समझौते पर 'हां' करना होगा। इस संबंध में एक त्वरित द्विपक्षीय निवेश संधि का मार्ग भी प्रशस्त करना होगा। एक बड़ी बाधा परमाणु जवाबदेही कानून को तय करना होगा। इसी तरह अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ जो दोहरे कराधान के मामलों को समाप्त करना होगा और बीमा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देनी होगी, जबकि इसके जवाब में भारत को अधिकाधिक निवेश की उम्मीद रहेगी और भारत सरकार चाहेगी कि एच1-बी वीजा को पर्याप्त रूप से बढ़ाने की सहमति मिले।
 
सामाजिक सुरक्षा पर वार्ता को एक टोटलाइजेशन समझौते पर गंभीर वार्ता हो और कृषि क्षेत्र में सब्सिडी को लेकर दोनों देशों के बीच कोई समझौते की राह खुले तो यह भारत के पांच मुद्दों पर सहयोग के नए आयाम खोलने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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