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नरेन्द्र मोदी सरकार के वादों की हकीकत

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, सोमवार, 11 मई 2015 (10:37 IST)
चुनाव लड़ने से लेकर सत्ता में आने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बड़े वादे, बहुत जोर-शोर से कई अभियान शुरू किए थे। खासतौर पर अर्थव्यवस्था को सुधारने और उद्योगों को उबारने के लिए उन्होंने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद मोदी सरकार के एजेंडे को बड़ी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। मोदी सरकार ने लोगों 'अच्छे दिन' आने का भरोसा दिलाया था, लेकिन इस बारे में किए जा रहे दावे और उसकी हकीकत में बहुत बड़ा अंतर है।
 
सरकार का एक साल होने के बाद भी कोई बड़ा आर्थिक सुधार नहीं हुआ है, जिससे देश की स्थिति बदल सके। हां यह जरूर है ‍कि मोदी सरकार ने विकसित देशों के साथ भारत निवेश के जो समझौते किए हैं, उनसे हो सकता है कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ हलचल देखने को मिले, लेकिन यह अभी दूर की कौड़ी है।
 
जहां एक ओर उन्होंने पूरी दुनिया से मेक इन इंडिया का आह्वान किया तो दूसरी ओर  नोकि‍या जैसी बड़ी कंपनी ने भारत से वि‍दा ले ली। उन्होंने देश की बड़ी आबादी को बैंकों से जोड़ने की मुहिम शुरू की, लेकिन इसके साथ सरकारी बैंक खुद ही कर्ज के बोझ से दबते जा रहे हैं।
 
1. मेक इन इंडि‍या : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मेक इन इंडि‍या को लांच कि‍या था। इसे लांच करते हुए सरकार ने कहा था कि‍ कंस्ट्रक्शन और रेलवे इंफ्रा में एफडीआई नि‍यम आसान कि‍ए जाएंगे, वहीं सरकार ने 25 सेक्टर्स की पहचान की है जि‍समें भारत ग्लोबल लीडर बन सकता है। मोदी ने कहा था कि‍ मेक इन इंडि‍या से नए रोजगारों के बहुत से अवसर पैदा होंगे।
 
हकीकत : मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ को फिनलैंड की मोबाइल हैंडसेट कंपनी नोकि‍या ने झटका दे ही दिया। नोकि‍या ने भारत का चेन्नई के श्रीपेरम्बुदूर में मौजूद इकलौता मोबाइल हैंडसेट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का शटर डाउन कर दिया। प्लांट बंद हो जाने से जहां 8,000 कर्मचारियों का भविष्य चौपट हो गया वहीं कम से कम 25-30 हजार लोगों पर इसका अप्रत्यक्ष रूप से असर हुआ।
 
देश की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी मारुति‍ सुजुकी इंडि‍या का गुजरात प्लांट वि‍वादों में चला गया। इस प्लांट को लेकर मारुति‍ के शेयरधारकों में ही मतभेद शुरू हो गया।
 
घरेलू बाजार की बड़ी मोबाइल हैंडसेट नि‍र्माता कंपनी माइक्रोमैक्स और कार्बन ने अब तक देश में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने की बात नहीं की है। हालांकि‍ सकारात्मक पहल के तौर पर डाटा विंड, फि‍एट और जि‍योमी ने भारत आने का 'वादा' किया है।
अगले पन्ने पर, अधूरा है डिजिटल इंडिया का सपना
 

2 . डि‍जि‍टल इंडि‍या का सपना :  मोदी सरकार ने कहा कि 2016-17 तक 2,50,000 पंचायतों को फाइबर ऑप्टिक  ब्रॉडबैंड नेटवर्क के जरिए जोड़ने का लक्ष्‍य रखा गया है। इससे प्राइवेट सेक्‍टर को बहुत ज्‍यादा कारोबारी अवसर मिलने वाले हैं।
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डिजिटल इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा कार्यक्रम है, जिसके तहत प्रत्‍येक घर तक ब्रॉडबैंड की पहुंच को सुनिश्चित बनाने का लक्ष्‍य रखा गया है।

हकीकत : नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड कंपनी के पास है। सितंबर 2014 तक के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी ने 1.8 लाख किलोमीटर के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल खरीदने का ऑर्डर दिया है जिसमें से केवल 1500 किलोमीटर केबल की ही डिलि‍वरी हुई थी।

इसी तरह 6 लाख किलोमीटर डक्ट बिछाने के लक्ष्य में से केवल 2000 किलोमीटर की डक्ट बिछी है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को साल 2017 तक जोड़ने के लिए नई रणनीति पर काम करना होगा।
अगले पन्ने पर, 24 घंटे बिजली का वादा...

3. 24 घंटे बि‍जली का वादा : नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद लोगों को 24 घंटे और सातों दि‍न बि‍जली मुहैया कराने का वादा कि‍या था। कोयला सप्लाई की समस्या को जल्द से जल्द नि‍पटाने की बात भी कही थी।
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हकीकत : लोगों को 24 घंटे बि‍जली तो नहीं मि‍ली लेकि‍न मोदी के बयानों के कुछ बाद ही लोगों को महंगी बि‍जली मि‍लने लगी, वहीं कोयले की समस्या को हल करने के लि‍ए कोई स्पष्ट रणनीति‍ ही नहीं थी। इस बात की पोल तब खुली जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोल ब्लॉक्स आवंदन रद्द कि‍ए जाने के बाद सरकार के पास ई-ऑक्शन की कोई प्लानिंग नहीं थी।

बिजली मंत्रालय द्वारा 12वीं योजना के लिए तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-17 तक कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को कुल 84.2 करोड़ टन कोयले की जरूरत होगी। रिपोर्ट के अनुसार यदि देश में कोयला का सामान्य रूप से उत्पादन हो, तो भी अगले तीन साल में मांग की तुलना में 23.8 करोड़ टन तक कोयले की कमी रहेगी।
अगले पन्ने पर, चलेगी बुलेट ट्रेन

4. बुलेट ट्रेन का वादा : रेल यात्रा को लेकर यह दावा किया गया था कि अहमदाबाद-मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन  चलाई जाएगी। सरकार का यह भी कहना है कि रेल यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और संरक्षा में बढ़ोतरी की गई है।
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हकीकत : पिछले साल ही जून में रेल किराए में बढ़ोतरी की गई। यात्री किराया 14.2 और माल  भाड़ा 6.5 फीसदी बढ़ा दिया गया,  लेकिन रेल में यात्री सुविधाओं में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला। अहमदाबाद-मुंबई के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन के संभावित खर्च (करीब 60 हजार करोड़ रुपए) और लागत निकालने पर सवाल अभी हल नहीं हुआ है।  
अगले पन्ने पर, जन का धन

5. जनधन योजना : सरकार ने सभी लोगों को वि‍त्तीय सुवि‍धाएं उपलब्ध कराने के लि‍ए जनधन योजना को शुरू कि‍या। योजना के तहत हर परिवार को बैंकिंग सुविधा दी जाएगी, हर खाते के साथ डेबिट कार्ड दिया जाएगा और उसके साथ एक लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर दिया जाएगा। इस योजना में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं, छोटे किसानों और श्रमिकों को ये सुविधा देने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
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हकीकत : सरकार ने दावा कि अब तक जनधन योजना में करोड़ों खाते खोले गए, लेकिन कई खाते ऐसे हैं जिनमें रुपए नहीं हैं। मोदी सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावशाली कदमों का असर बैंकों की बैलेंसशीट पर नजर नहीं आ रहा है। सार्वजनि‍क क्षेत्र के बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) लगातार बढ़ रहे हैं।

इंडि‍या रेटिंग की रि‍पोर्ट के मुताबि‍क, बैंकों से कर्ज लेने के बाद वापस न दे पाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगले पांच साल के भीतर बैंकिंग प्रणाली में 600 अरब से 1 लाख करोड़ रुपए तक का लोन रीस्ट्रक्चगर्ड हो सकता है। इन 500 कंपनि‍यों ने वि‍त्त वर्ष 2014 के दौरान बैंकों से कुल 28,760 अरब रुपए का कर्ज ले रखा है।   
अगले पन्ने पर, किसानों की दुर्दशा

6. कृषि सेक्‍टर के वादे : मोदी सरकार ने कि‍सानों से जि‍तने वादे दि‍ए थे, शायद ही कि‍सी अन्य को कि‍ए हों। सरकार ने पहले बजट में कीमत स्थिरता कोष बनाने की बात कही, ताकि‍ कि‍सानों को फसल की सही कीमत मि‍ल सके। कि‍सानों को रि‍यल टाइम डाटा उपलब्धा कराने, नेशनल मंडी आदि की बात कही थी। सरकार ने आते ही शुगर इंडस्‍ट्री को राहत पैकेज देने की घोषणा भी की।
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हकीकत : अब तक सरकार ने कि‍सानों की उम्मीद के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं बढ़ाया है। कि‍सान अपनी उपज की लागत तक नहीं नि‍काल पा रहे हैं। बढ़ती लागत के बीच कि‍सानों को महंगी खाद का बोझ भी कि‍सानों पर डाल दि‍या गया। गन्ना किसानों का हक मारने और चीनी मि‍लों के खि‍लाफ खुद बैंकों की ओर से अटार्नी जनरल ने कोर्ट में केस लड़ा। शुगर इंडस्‍ट्री को पैकेज देने के बाद देश की बड़ी कंपनी मवाना शुगर ही डि‍फॉल्‍टर हो गई।
अगले पन्ने पर, क्या अर्थव्यवस्था में आया सुधार

7. आर्थि‍क हालत सुधारने का वादा :  सरकार ने सत्ता में आने के बाद ही कहा था कि हम सरकारी कंपनि‍यों और सभी सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर खजाने को बढ़ाएंगे। सरकार पि‍छले कुछ समय से ओएनजीसी, सेल और कोल इंडि‍या में शेयर बेचने की बात कह रही है।

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हकीकत : सरकार अब तक वि‍नि‍वेश के लि‍ए सरकारी कंपनि‍यों के शेयरों की बि‍क्री की तारीख तय नहीं कर पाई है। सरकार अपना खजाना बढ़ाना चाहती है लेकि‍न आलम यह है कि‍ राजकोषीय घाटा वि‍त्त़ वर्ष 2015 के लक्ष्य का 90 फीसदी पर पहुंच चुका है। कुल राजकोषीय घाटा 4.75 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

अगले पन्ने पर, आम आदमी को मिली महंगाई से राहत...

8. महंगाई पर लगेगी लगाम :  महंगाई काबू में रखने के लिए बाजार में 10 लाख टन अनाज लाना, जमाखोरों पर  कार्रवाई करना आदि तत्काल प्रभावशाली काम किए और लोगों को राहत पहुंचाई। 500 करोड़ रुपए से कीमतों को स्थिर रखने के लिए अलग निधि, जीवन आवश्यक वस्तु कानून तथा मार्केट कमेटी कानून में बदलाव जैसे नीतिगत फैसलों के द्वारा महंगाई पर दीर्घकालीन लगाम लगाने की योजना तैयार की।
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हकीकत :  भले ही बाजार में अनाज की सप्लाई की गई हो लेकिन आज भी चावल, आटा और दाल जैसी चीजों के दामों में कोई कमी नहीं आई है। सब्जियों और फल अब भी महंगे हैं। टमाटर और प्याज की कीमतों ने लोगों को खूब परेशान किया। दिल्ली समेत देश के कई शहरों में टमाटर ने 80 रुपए प्रति किलो की कीमत को छू लिया था।
अगले पन्ने पर, स्वच्छ गंगा...


9. गंगा की सफाई : मोदी सरकार ने दावा किया था कि वह 'नमामि गंगे' योजना के तहत गंगा की सफाई के लिए खाका तैयार करेगी और इसके लिए 2000 करोड़ रुपए की वित्तीय योजना बनाई  जाएगी।  
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हकीकत : गंगा की सफाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कुछ समय पहले ही मोदी सरकार से सवाल किया था, ‘चुनाव से पहले आप गंगा की सफाई को बेहद जरूरी बता रहे थे। यह आपके घोषणापत्र में भी था। क्या अब जल्दी नहीं है? आप इसकी फाइलें दो मंत्रालय के बीच घुमाए जा रहे हैं।’ कोर्ट ने सरकार से गंगा की सफाई पर दो हफ्ते के भीतर रोडमैप पेश करने को कहा। इसके बाद सुनवाई टाल दी गई।

10. किसानों की मददगार सरकार :  मोदी सरकार ने किसानों के लिए 8 लाख करोड़ का कृषि कर्ज उपलब्ध कराने का वादा किया था। सॉइल हेल्थ कार्ड बनवाने, किसानों के लिए टीवी चैनल शुरू करने, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना की शुरुआत करने तथा किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने का वायदा किया था।  

हकीकत : केंद्र की मदद के बावजूद उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में गन्ना किसानों के 64 हजार करोड़ रुपए चीनी मिल मालिकों के पास फंसे हैं। चीनी मिल मालिकों का कहना है कि वे पहले से घाटे में चल रही हैं, उन्हें भी पैकेज मिलना चाहिए। गन्ना किसानों को फसलों का वाजिब मूल्य न मिलने से कई किसानों ने तो खेत में खड़ी फसल को ही जला दिया। मौसम की मार के कारण फसल बर्बाद होने और सही मुआवजा नहीं मिलने के कारण कई किसानों ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।   

11. यूपीएससी परीक्षा : इस परीक्षा को लेकर सरकार का दावा था कि वह यूपीएससी परीक्षा में सबको समान अवसर और न्याय देने के लिए आवश्यक सुधार करेगी।

हकीकत : प्रारंभिक परीक्षा से अंग्रेजी के सवाल हटाए जाने के बावजूद छात्र असंतुष्ट हैं। उनकी मांग है कि सभी भारतीय भाषाओं में प्रश्न पत्र तैयार कराए जाएं और उन्हें क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से परीक्षा देने का मौका मिलना चाहिए।  

12. होगा रेलवे का कायाकल्प : रेलवे में 100 प्रतिशत एफडीआई को सरकार ने मंजूरी दी। मोदी सरकार बनते ही उसने दावा किया कि लोगों के लिए उधमपुर-कटरा रेल सेवा की शुरुआत की है।

हकीकत : इस रेल रूट का उद्घाटन पिछले साल 2 फरवरी को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथों होना था, लेकिन तकनीकी खामी की वजह से तब यह नहीं हो पाया। इस वजह से 4 जुलाई को नरेंद्र मोदी को इसका उद्‍घाटन करने का मौका मिला। इसके अलावा रेल मंत्री ने बजट में कोई नई रेल परियोजनाओं की घोषणा नहीं की। साथ ही अधूरी पड़ी परियोजनाओं की तेज गति पर भी कोई बात नहीं की गई।

13. डब्ल्यूटीओ में गरीबों की हितों की रक्षा : मोदी सरकार का दावा है कि उसने विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) के प्रोटोकॉल पर स्ताक्षर न करके भारत के किसानों और गरीबों के हितों की रक्षा की है।

हकीकत : वास्तविकता यह है कि सरकार ने सब्सिडी के मुद्दे पर यूपीए सरकार के ही रुख को बरकरार रखा है। इस मुद्दे पर दोनों की नीति में कोई खास फर्क नहीं था।

14. बनेंगे एम्स जैसे अस्पताल : सरकार ने दावा किया कि इस साल के अंत तक आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, विदर्भ और पूर्वी उत्तरप्रदेश में एम्स अस्पताल की स्थापना की जाएगी।

हकीकत : हकीकत यह है कि पहले से ही पटना, रायपुर ऋषिकेश, जोधपुर में स्थापित हो चुके एम्स में सुविधाओं की भारी कमी है जिनके चलते लोगों को इनका पर्याप्त लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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