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किडनी कांड के पीड़ितों की व्यथा

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गुड़गाँव (भाषा) , बुधवार, 30 जनवरी 2008 (20:40 IST)
रोजगार की पेशकश की गई 150 रुपए दिहाड़ी देने का मौखिक करार हुआ, लेकिन पहले गुड़गाँव के अस्पताल में शारीरिक परीक्षण कराने के लिए कहा गया। इस परीक्षण के नाम पर निकाल ली गई उनकी किडनी।

शकील को भी अन्य मजदूरों की तरह ही लगा कि उसका नियोक्ता एक अच्छा व्यक्ति है, लेकिन शकील भी शारीरिक परीक्षण के नाम पर अपनी किडनी गँवा बैठा। पिछले करीब दस साल से डॉ. अमित उर्फ संतोष राउत करोड़ों रुपए किडनी रैकेट चला रहा था। बताया जाता है कि उसने कम से कम 500 अवैध प्रत्यारोपण किए थे। अमित फरार है और उसकी तलाश की जा रही है।

शकील, सलीम, नसीम सभी गरीब मजदूर हैं, गुड़गाँव के सिविल अस्पताल में भर्ती हैं और सब की दास्तान एक जैसी है।

23 जनवरी की रात शकील को गुडगाँव के सेक्टर 23 में मकान कम अस्पताल नंबर 4374 ले जाया गया। वहाँ बिस्तर पर तीन और व्यक्ति पड़े थे। शकील को उनसे बात नहीं करने दी गई। साथ आए दो नकाबपोशों ने उससे मरीजों का ध्यान रखने के लिए कहा।

जाँच के दौरान सकील को बेहोश कर दिया गया। अगले दिन उसे होश आया तो पेट में तीव्र दर्द था। डॉक्टरों ने उसे बताया कि उसकी किडनी निकाल ली गई है। अब शकील भी चुपचाप बिस्तर पर पड़ा था। दो दिन बाद उत्तरप्रदेश का पुलिस दल किडनी रैकेट के संदिग्धों की तलाश में वहाँ आ पहुँचा।

कड़ी कार्रवाई हो : सूचना प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने किडनी रैकेट की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से कड़ाई से निपटने की जरूरत है। पूरे देश में इसे लेकर चिन्ता है।

उन्होंने कहा कि दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। यह ऐसा मामला है जिसे केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नजरअंदाज नहीं करेगा। मंत्रालय के अलावा संबद्ध राज्य सरकारों को भी दोषियों को सजा दिलवाने के कदम उठाने चाहिए।

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