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हिन्दी के पुरोधाओं को 'अक्षरम्' सम्मान

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नई दिल्ली , मंगलवार, 5 फ़रवरी 2008 (21:22 IST)
हिन्दी की विभिन्न विधाओं में कार्यरत विद्वानों को छठे अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव-2008 में सम्मानित किया गया। 'अक्षरम्' संस्था द्वारा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी और उत्तरप्रदेश भाषा संस्थान के सहयोग से राजधानी में तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन एक से तीन फरवरी तक किया गया था।

कैलाश वाजपेयी (अक्षरम् साहित्य शिखर सम्मान) : प्रख्यात कवि श्री वाजपेयी मूल रूप से उन्नाव जिले के पृथ्वीखेड़ा के निवासी हैं। आप मैक्सिको में विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं। आपकी रचनाओं का अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। वर्ष 2002 में श्री वाजपेयी को व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया।

राहुल देव (अक्षरम् मीडिया शिखर सम्मान) : राहुल देव हिन्दी पत्रकारिता के प्रिंट और टेलीविजन माध्यम की जानी-मानी हस्ती हैं। उन्होंने जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस समूह के हिन्दी में दैनिक में भी सम्पादन कार्य किया है।

महामहिम मुकेश्वर चुन्नी (अक्षरम् प्रवासी शिखर सम्मान) : हिन्दी के प्रति समर्पित चुन्नी हिन्दी के महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्व हैं। मॉरीशस में आयोजित चौथे विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजन के रूप में आपने हिन्दी को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मॉरीशस सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी आपने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

सुश्री जिलियन राइट (अक्षरम् अनुवाद सम्मान) : ब्रिटेन की सुश्री राइट ने श्रीलाल शुक्ल की चर्चित कृति 'राग दरबारी' का अंग्रेजी में अनुवाद कर हिन्दी तथा विदेशी भाषाओं के बीच सेतु निर्माण का महत्वपूर्ण काम किया है।

प्रो. हरमन वॉन ऑलफन (अक्षरम् हिन्दी शिक्षण ‍सम्मान) : अमेरिका के प्रो. हरमन 1966 में प्रथम बार भारत आए और भाषा के प्रति उनकी अतिरिक्त जिज्ञासा ने उन्हें हिन्दी क्रिया रूपों पर शोध के लिए प्रोत्साहित किया। आप 1968 से यूनिवर्सिटीज ऑफ टेक्सास में हिन्दी तथा उर्दू साहित्य के शिक्षण कार्य सजुड़हैं

डॉ. दाऊजी गुप्त (अक्षरम् हिन्दी सेतु सम्मान) : डॉ. गुप्त का जन्म 15 मई, 1940 में लखनऊ में हुआ। आपने पीईएन के प्रतिनिधि व अध्यक्ष के रूप में फिनलैंड, मास्को व बर्लिन-पैन कांग्रेस में भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों का प्रतिनिधित्व किया। हिन्दी भाषा में इनकआठ पुस्तकों के अतिरिक्त कविताओं के संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं।

अरविन्द कुमार (अक्षरम् विशिष्ट हिन्दी सेवा सम्मान) : थिसारसो की निघुंट और अमरकोश की प्राचीन परंपरा को आज के ग्लोबल संसार की उपलब्धियों से जोड़कर कोश बनाने वाली विख्यात टीम के नेता हैं अरविन्द कुमार।

विश्वनाथ (अक्षरम् हिन्दी प्रकाशन सम्मान) : हिन्दी प्रकाशन क्षेत्र के पुरोधा विश्वनाथ पिछले 65 वर्षों से प्रकाशन क्षेत्र से जुड़े हैं। 1920 में लाहौर में जन्मे विश्वनाथ ने 1947 में देश के विभाजन के पश्चात राजपाल एंड संस कस्थापनकीतत्पश्चात अपने छोटे भाई के साथ मिलकर उन्होंने हिन्दी पॉकेट बुक्स की स्थापना की।

गंगाधर जेसवानी (अक्षरम् हिन्दी सेवा सम्मान) : मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक और प्राचीन नगरी उज्जयिनी से मात्र 15 वर्ष की आयु में श्री गंगाधर जेसवानी 1969 में दुबई पहुँचे और लंबे प्रवास में रहनबापुन: अपनी जड़ों से जुड़े। अब तक वे दस काव्य संग्रह लिख चुके हैं।

भूदेव शर्मा (अक्षरम विशिष्ट हिन्दी सेवा सम्मान) : श्री शर्मा ने 60-70 के दशक से ही अमेरिका में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इनके अतिरिक्त वेबदुनिया के श्री पंकज जैन (अक्षरम् हिन्दी प्रौद्‍योगिकी सम्मान), डॉ. गोविंद व्यास (अक्षरम् वाचिक परंपरा सम्मान), गिरिराज शरण अग्रवाल, मीना अग्रवाल व जगदीश मित्तल (अक्षरम् हिन्दी सेवा सम्मान), नरेन्द्र व्यास (अक्षरम् विशिष्ट सेवा सम्मान), बीएम गुप्ता, ब्रिटेन (अक्षरम् संस्कृति सम्मान), महेन्द्र वर्मा, ब्रिटेन (अक्षरम् प्रवासी हिन्दी शिक्षण सम्मान), उषा वर्मा, ब्रिटेन (अक्षरम् प्रवासी साहित्य सम्मान) को भी हिन्दी उत्सव के दौरान सम्मानित किया गया।

वेबदुनिया को 'अक्षरम् हिन्दी प्रौद्‍योगिकी सम्मान'

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