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हसीना इंदिरा पुरस्कार से सम्मानित

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नई दिल्ली , मंगलवार, 12 जनवरी 2010 (17:17 IST)
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को मंगलवार को शांति, निरस्त्रीकरण तथा विकास के क्षेत्र में योगदान के लिए दिए जाने वाले प्रतिष्ठित इंदिरा गाँधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति एवं तरक्की के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से पुरस्कार ग्रहण करने के बाद हसीना ने कहा कि हम अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे और दोस्ताना रिश्ते चाहते हैं। हमें दक्षिण एशिया में शांति, सद्भावना तथा उन्नति के लिए काम करना होगा। जब तक यह हासिल नहीं होता संघर्ष जारी रहेगा।

इंदिरा गाँधी के साथ अपनी मुलाकातों को याद करते हुए भावुक हसीना ने अपने पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान तथा परिवार के 18 अन्य सदस्यों की जघन्य हत्या का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस समय हम कहीं नहीं जा सकते थे। हमारी तत्कालीन सरकार ने हमें स्वदेश नहीं लौटने दिया।
उन्होंने इंदिरा गाँधी को अपनी माँ की तरह बताते हुए कहा कि इंदिरा गाँधी ने ही हमें पनाह दी। हमें राजनीतिक शरण मिली और छह साल हम दिल्ली में रहे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर बांग्लादेश की आवाज सुनी जाती है। भारत न केवल बांग्लादेश की महान बेटी बल्कि विश्व की एक प्रख्यात नेता को सम्मानित कर रहा है।

संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा कि हम एक शांतिपूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक बांग्लादेश की इच्छा और उम्मीद रखते हैं और हमें इस बात में कोई शक नहीं है कि आपके (हसीना) नेतृत्व में यह संभव होगा। पुरस्कार राष्ट्रपति भवन में दिया गया, जहाँ केन्द्रीय मंत्रियों, राजनयिकों और सांसदों सहित कई हस्तियाँ मौजूद थीं। पुरस्कार के तहत 25 लाख रुपए और एक प्रशस्तिपत्र दिया जाता है।

लोकतंत्र और बहुलवाद के संवर्धन में योगदान के लिए सन 2009 के पुरस्कार से सम्मानित 62 वर्षीय हसीना ने कहा कि एक महान नेता के नाम पर दिया जाने वाला पुरस्कार पाना वाकई सम्मान की बात है। मैं नहीं जानती कि क्या में इसके काबिल हूँ। उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश इंदिरा गाँधी के शांति के सपने के प्रति प्रतिबद्ध पड़ोसी देश हैं।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा कि जहाँ भारत अपने महान दूरदर्शी नेताओं द्वारा पल्लवित लोकतंत्र की ताकत से सफलता हासिल कर सका, वहीं उनके देश की तरक्की अलोकतांत्रिक ताकतों के अकसर हस्तक्षेप से अवरुद्ध रही।

हसीना ने कहा कि वे अपनी जनता को गरीबी और आतंकवाद से निजात दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और मानवाधिकारों तथा कानून के शासन को कायम रखना अपना दायित्व समझती हैं।
राष्ट्रपति ने पुरस्कार देते हुए कहा कि भारत और बांग्लादेश द्विपक्षीय रिश्तों तथा सहयोग एवं विश्वास को मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। पाटिल ने कहा कि हम व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाना चाहते हैं जिसके लिए गहन सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि हसीना ने अपने देश के विकास में एक अमिट छाप छोड़ी है।

इंदिरा गाँधी को एक ‘साहसी महिला’ बताते हुए संप्रग अध्यक्ष ने कहा कि देश और विदेश में कड़े विरोध के बीच अगर उनका नेतृत्व नहीं होता तो भारत की तस्वीर कुछ और होती। उन्होंने कहा कि भारत उतनी ही साहसी एक अन्य महिला को सम्मानित कर रहा है, जिसने अदम्य साहस से मुकदमों का सामना किया। (भाषा)

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