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तीन हजार से युवाओं को लुभा रहे नक्सली

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नई दिल्ली , रविवार, 28 मार्च 2010 (14:16 IST)
सशस्त्र विद्रोह की तरफ ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवाओं को खींचने की कोशिश में माओवादियों ने अब उन्हें पगार देकर लुभाना शुरू कर दिया है।

माओवादी बेरोजगार युवाओं को 3,000 रुपए की पगार पर अपनी टीम में शामिल कर रहे हैं। माओवादी उन्हें जबरन की गई वसूली में भी हिस्सा देकर अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं।

अधिकारियों का कहना है कि कैडरों को माली फायदा देने की माओवादी नेतृत्व की रणनीति से नक्सल प्रभावित राज्यों के पिछड़े इलाकों से आने वाले कई बेरोजगार युवा इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।

गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने बताया ‘यह चिंता का विषय है। हद से ज्यादा गरीबी के और नौकरी के मौकों की कमी की वजह से ज्यादातर युवा नक्सलवाद की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।’

अधिकारी ने कहा ‘वे मासिक पगार के तौर पर 3,000 रुपए पाते हैं। इसके अलावा उनकी ओर से जो जबरन वसूली की जाती है, उनमें भी हिस्सा पाते हैं।’ खनिज संसाधनों से भरपूर इलाकों में सैकड़ों उद्योगों के होने के कारण नक्सली हर साल जबरन वसूली कर तकरीबन 1,400 करोड़ रुपए कमा लेते हैं।

नक्सलियों के हमलों और उनसे अपनी सुरक्षा के डर से नक्सल प्रभावित राज्यों के कई उद्योगपति, व्यापारी, ठेकेदार और यहाँ तक कि कुछ सरकारी अधिकारी भी उन्हें पैसे देते हैं।

गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने हाल ही में कहा था ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों को वे अब अपने घुटनों तले ला सकते हैं। लेकिन वे इसे आज नहीं करना चाहते। वे जानते हैं कि ऐसा कुछ यदि अभी किया जाए तो राज्य उसका काफी कड़ा जवाब देगा। वे राज्य की मशीनरी के कहर को झेलने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इसलिए वे थोड़ा धीमे चलेंगे।’

माओवादियों की रणनीति के काट के तौर पर सरकार ने आठ राज्यों के 34 जिलों को अपना ‘फोकस एरिया’ बनाया है। ये जिले नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित हैं। (भाषा)

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