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पूर्व राजमाता गायत्री देवी का निधन

दुनिया की दस खूबसूरत महिलाओं में थीं शुमार

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जयपुर (भाषा) , गुरुवार, 30 जुलाई 2009 (11:28 IST)
जयपुर की पूर्व राजमाता गायत्री देवी का बुधवार को यहाँ के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 90 वर्ष की थीं। गायत्री देवी का उपचार कर रहे चिकित्सक डॉ. सुभाष काला ने यह जानकारी दी। काला के अनुसार गायत्री देवी का स्वास्थ्य मंगलवार की शाम को अचानक बिगड़ गया और बुधवार सुबह उनके स्वास्थ्य में और गिरावट आ गई। मध्याह्न करीब चार बजे उनका निधन हो गया।

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जीवन परिचय : गायत्री देवी का जन्म 23 मई 1919 को लंदन में हुआ था। उनके पिता कूचबिहार के राजा थे। वे वर्ष 1939 से 1970 के बीच जयपुर की तीसरी महारानी थीं। उनका विवाह महाराज सवाई मानसिंह द्वितीय से हुआ था।

उनकी माँ राजकुमारी इन्दिरा राजे बड़ौदा की राजकुमारी थीं। गायत्री देवी की आरंभिक शिक्षा शान्ति निकेतन में हुई। बाद में उन्होंनस्विट्जरलैंड के लाजेन में अध्ययन किया। उनका राजघराना अन्य राजघरानों से कहीं अधिक समृद्धशाली था।

दुनिया की दस खूबसूरत महिलाओं में था नाम : गायत्री देवी अपने अप्रतिम सौन्दर्य के लिए जानी जाती थीं। उनका नाम दुनिया की खूबसूरत दस महिलाओं में शुमार था। वे अपने समय की फैशन आइकॉन भी रहीं। राजघरानों के भारतीय गणराज्य में विलय के बाद वे राजनीति में आईं और जयपुर से वर्ष 1962 में मतों के भारी अंतर से लोकसभा चुनाव जीता। वर्ष 1967 और 1971 में भी उन्होंने जयपुर से लोकसभा सीट पर कब्जा किया।

घुड़सवारी की शौकीन रहीं गायत्री देवी ने 15 अक्टूबर 1949 को पुत्र जगतसिंह को जन्म दिया। जगतसिंह का कुछ साल पहले ही निधन हो गया था। जगतसिंह जयपुर के पूर्व महाराजा भवानीसिंह के सौतेले भाई थे। महारानी गायत्री देवी को बाद में राजमाता की उपाधि दी गई।

बालिकशिक्षा की हिमायती : गायत्री देवी की रुचि शुरुआत से ही लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने में रही। यही कारण रहा कि उन्होंने गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल की शुरुआत की। इस स्कूल की गणना जयपुर के सर्वोत्तम स्कूलों में आज भी की जाती है। उन्होंने जयपुर की ‘ब्लू पोटरी’ कला को भी जमकर बढ़ावा दिया।

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राजनीति में भी रहा राज : गायत्री देवी ने वर्ष 1962 के आम चुनाव में जयपुर लोकसभा सीट से लड़ते हुए कुल दो लाख 46 हजार 516 मतों में से एक लाख 92 हजार नौ सौ नौ मत प्राप्त कर एक रिकॉर्ड कायम किया। इसके बाद उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। उन्होंने वर्ष 1967 और 1971 में जयपुर लोकसभा सीट से स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था।

केन्द्र सरकार ने वर्ष 1971 में राजघरानों के सभी अधिकार और उपाधियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। तत्कालीन केन्द्र सरकार की आँख की किरकिरी बन जाने के कारण उन्हें कर चोरी के आरोप में पाँच महीने तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया।

तिहाड़ से रिहा होने के कुछ समय बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी और लेखन के क्षेत्र में कदम रखा। गायत्री देवी ने वर्ष 1976 में संत रामा राउ के सहयोग से अपनी आत्मकथा के रूप में 'एक राजकुमारी की याद' पुस्तक लिखी। आपने विदेशी निर्देशक के सहयोग से 'हिन्दू राजकुमारी' फिल्म भी बनाई।

गायत्री देवी के राजनीति से संन्यास लेने के बावजूद वर्ष 1999 में राजनीति के गलियारे में उनके कूच बिहार से त्रिणमूल कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा हुई। पूर्व ईसरदा रियासत के महाराजा रहे जगतसिंह का कुछ साल पहले ही निधन हो गया था। जगतसिंह की एक बेटी ललिता तथा पुत्र देवराजसिंह हैं। जगतसिंह के पुत्र-पुत्री उस समय चर्चा में आए, जब उनकी सम्पति को लेकर न्यायालय में मामला पेश हुआ।

गायत्री देवी की अन्त्येष्टि गुरुवार को

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