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उपन्यासकार अरविंद अदिगा को बुकर

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बुकर पुरस्कारों की शॉर्ट लिस्ट में शामिल छह लेखक थे। जिसमें भारतीय मूल के उपन्यासकार अरविंद अदिगा को इस वर्ष के साहित्य के क्षेत्र में दिए जाने वाले विश्व के प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक बुकर पुरस्कार उनकी पहली ही पुस्तक 'द व्हाइट टाइगर' के लिए दिया जाएगा। अदिगा के अलावा भारतीय मूल के अमिताभ घोष, सेबास्टियन बैरी, स्टीव टोल्ट्ज, लिंडा ग्रांट और फिलिप हेनशर भी शमिल थे। इन लेखकों में 33 वर्षीय अदिगा सबसे कम उम्र के थे।

उन्होंने आयरलैंड के सेबास्टियन बैरी को पीछे छोड़ते हुए यह पुरस्कार प्राप्त किया। सबसे कम उम्र में बुकर पुरस्कार जीतने वाले वह दूसरे लेखक है। इनसे पहले वर्ष 1991 में बेन ओकरी ने 32 वर्ष की उम्र में यह पुरस्कार पाया था।

बुकर पुरस्कार के पाँच सदस्यीय जजों के पैनल के चेयरमैन माइकल पोर्टिलो ने 'द व्हाइट टाइगर' की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमे महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मुद्दो से निपटने के बारे में बताया गया है। पोर्टिलों ने लंदन में बुकर पुरस्कार के विजेता की घोषणा करते हुए पत्रकारों को बताया कि यह एक संपूर्ण उपन्यास था।

अदिगा की इस पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति को दिखाया गया है जो शीर्ष पर जाने के लिए किसी भी रास्ते को गलत नहीं मानता है। इस पुस्तक की कहानी उसके मुख्य पात्र बलराम हलवाई के आसपास घूमती है जो अपने गाँव की गरीबी से छुटकारा पाने का सपना देखता है और यह सपना उसे दिल्ली और बेंगलुरु की यात्रा करा देता है, जहाँ वह ऊँचाई पर जाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है।

बुकर पुरस्कार विजेता की घोषणा होने से पहले अदिगा ने बताया कि 'द व्हाईट टाइगर' को लिखने के पीछे उनका उद्देश्य गरीबों का चित्रण करना है।

बुकर आयोजको का कहना है कि पिछले वर्ष लेखिका ऐन एनराइट को उनके उपन्यास 'द गेदरिंग' के लिए बुकर पुरस्कार दिया गया था और पुरस्कार मिलने की वजह से इस उपन्यास की लगभग पाँच लाख प्रतियाँ बिकी थी। 'द व्हाइट टाइगर' अटलांटिक बुक्‍स द्वारा प्रकाशित की गई है।

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