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संस्कृत-जैन धर्म की शिक्षा इंटरनेट पर

अमेरिका के नार्थ केरोलिना विवि में अगस्त 2009 से

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- अभिलाष त्रिवेद

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अमेरिका का प्रति‍‍ष्ठित नार्थ केरोलिना विश्वविद्यालय अब अपने पाठ्‍यक्रम में हिंदी, संस्कृत और जैन धर्म को एक विषय के तौर पर ‍शामिल कर रहा है। उल्लेखनीय है कि अगस्त 2009 से विदेशी भाषा तथा साहित्य विभाग में कार्यरत डॉ. पंकज जैन यह कोर्स पढ़ाएँगे। इसके अलावा ये विषय इंटरनेट पर भी उपलब्ध होंगे। और इन्हें विश्व में कहीं से भी पढ़ा जा सकेगा।

डॉ. जैन इससे पूर्व न्यूजर्सी में भी हिंदी, संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं का अध्यापन कर चुके हैं। वे अमेरिका कम्प्यूटर इंजीनियर्स के तौर पर आए थे, लेकिन बाद में अपना करियर बदल कर कोलंबिया विश्वविद्यालय से 'भारतीय धर्म व संस्कृत में मास्टर्स' तथा आयोवा विश्‍वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल
कर ली।

डॉ. जैन के अनुसार जैन धर्म के लंबे इतिहास व समसामायिक महत्व के बावजूद इसका अध्ययन कम किया जाता है। इस‍ी कमी को ध्यान में रखकर जैन धर्म का यह कोर्स प्रारंभ किया गया है, जिसमें 'महावीर से महात्मा गाँधी तक' और 'भारत की अहिंसक जैन परंपराएँ', इसमें जैन इतिहास, पूजा पद्धतियाँ, जैन दर्शन तथा कर्म सिद्धांत, जैन समाज, गाँधीजी, डॉ. मा‍र्टिन लूथर किंग तथा अहिंसा का समसामायिक महत्व आदि पढ़ाया जाएगा।

संस्कृत कोर्स में वर्णमाला से लेकर संज्ञा, धातु, लकार, प्रत्यय, उपसर्ग, संधि, समास, तथा व्याकरण के अन्य ‍सिद्धांत पढ़ाए जाएँगे। कोर्स में रामायण की कथा भी सम्मिलित की जाएगी। डॉ. जैन के अनुसार संस्कृत, ग्रीक तथा लेटिन प्राचीनतम इंडो-यूरोपियन भाषाएँ कहीं जाती हैं। इन तीनों में अनेक समानताएँ हैं तथा उनका तुलनात्मक अध्ययन विशेषकर लाभप्रद रहेगा।

हिंदी, संस्कृत और जैन धर्म के नए कोर्स डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट इंडिकयूनिवर्सिटी डॉट वोआरजी (www.indicUniversity.org) पर उपलब्ध है।

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