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सरहद पार चमकती भारतीय त्योहारों की रोशनी

हमें फॉलो करें सरहद पार चमकती भारतीय त्योहारों की रोशनी
, बुधवार, 22 अक्टूबर 2014 (13:04 IST)
- हकीम ए. जमींदार
 
जिस प्रकार से भारतीय नदियों ने उत्तर से दक्षिण तथा पूरब से पश्चिम तक पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधे रखा है, उसी प्रकार विभिन्न त्योहार और उनमें होने वाली विस्तृत भागीदारी पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम करती है।
 

 
इन त्योहारों की चमक और भव्यता दोनों ही बढ़ी है। और तो और, पिछले दशकों में भारतीय त्योहारों की धूम सरहद पार कर उन देशों को भी झुमाने लगी है, जहां बड़ी तादाद में अनिवासी भारतीय बसे हुए हैं। ये अनिवासी भारतीय समृद्ध भारतीयों के बलबूते स्थानीय समाज के ताने-बाने में पूरी सफलता के साथ बदलाव लाने में भी सफल रहे हैं।
 
गौरतलब है कि आर्थिक उदारीकरण का दौर शुरू होने के बाद से 'भविष्य की महाशक्ति' के रूप में भारत की चकाचौंध ने दुनिया की आंखें चौंधिया दी हैं। उल्लेखनीय विकास दर ने समग्र विश्व को कौतूहल के साथ भारत की ओर देखने को विवश कर दिया है। आज उनके लिए 'अतुल्य भारत' रंग-बिरंगी संस्कृति वाला गौरवशाली परंपरा का देश बन गया है। नतीजतन ऐसे विदेशी मेहमानों की संख्या में तेजी आई है, जो पर्यटन के साथ भारतीय त्योहारों गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दशहरा, दिवाली तथा भारतीय संस्कृति, परंपराएं, ऐतिहासिक व धार्मिक दर्शनीय स्थलों के दर्शन करने भारत आते हैं।
 
तमाम विदेशी चैनल भारतीय त्योहारों पर पूरी की पूरी श्रृंखला तैयार करने के लिए अपनी-अपनी टीमें आज भारत भेजते हैं, पारंपरिक त्योहारों को बड़े पैमाने और भव्यता के साथ राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का चलन सिर्फ भारत में ही तेजी से नहीं फैला है, बल्कि अब तो यह सात समंदर पार कर उस देश में अपनी धाक जमा रहा है, जहां-जहां भारतीय निवास कर रहे हैं। अनिवासी भारतीयों का यह समूह उद्योग जगत, विज्ञान, साहित्य, कला, शिक्षा और राजनीति में धाक जमा दिनोदिन और समृद्ध व प्रभावी ही होता जा रहा है। 
 
गौरतलब है कि पश्चिमी देश अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों में भारतीयगण न केवल उद्योग व राजनीति के शिखर पर हैं, बल्कि वे भारत के प्रभावी अंग हैं। नतीजतन भारत की सांस्कृतिक, आर्थिक छवि का प्रभाव और भी गहरा होता जा रहा है। 
 
आज भारतीय पर्व विशेषकर राष्ट्रीय पर्व का ही दर्जा प्राप्त दिवाली न सिर्फ पूर्वी-दक्षिण एशियाई देश, बल्कि पश्चिमी देशों कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका तथा अन्य देशों में धूमधाम से मनाई जाती है।
 
पिछले एक दशक में तो दिवाली ने कूटनीतिक जगत में भी खासा स्थान बना लिया है। विशेषकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उनके अपने देश में भारतीय समुदाय अब इतना प्रभावशाली हो चुका है कि वह अब उनके राष्ट्र के सांस्कृतिक जीवन पर ही असर डालने लगा। दिवाली अब अमेरिका में व्हाइट हाउस में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है यानी ये दिवाली पर्व भारत की संस्कृति और वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के तौर पर उसकी महत्ता का प्रतीक बन चुका है।
 
आज विश्वभर में फैले भारतीय दूतावास दिवाली पर्व का पूरी भव्यता के साथ आयोजन करते हैं और समग्र विश्व के साथ इस त्योहार से जुड़ी खुशियों को बांटते हैं। आरंभ में कही गई बात को फिर दोहराते हैं। प्रायः इस धरती पर सभी धर्म सहिष्णुता, प्रेम, सौहार्द, स्नेह, परस्पर मैत्री, शांति सद्भावना तथा शालीनता से जीवन जीने की राह बताते हैं।
 
भगवान श्री रामचन्द्रजी ने जन्म से लेकर जीवनपर्यंत अपने महान आदर्शों, लक्ष्यों पर केंद्रित रहकर हर पल त्याग, स्नेह व परोपकार का परिचय दिया। उनका रामराज्य बेहतर प्रबंधन, जनकल्याणकारी व मानवीय मूल्यों पर आधारित था तथा इस संसार के लिए एक उदाहरण के रूप में जाना जाता है।
 
आज विश्व में जहां-जहां विकास का एक पहलू नजर आता है तो दूसरी ओर भारी विषमताओं से भरा पड़ा स्वरूप भी दिखाई पड़ता है। आज संसार को तीन भागों में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। प्रथम विकसित देश जिसे फर्स्ट वर्ल्ड कहा जाता है, द्वितीय विकासशील देश जिसे सेकंड वर्ल्ड कहा जाता है तथा तृतीय अविकसित पिछड़े देश जिसे थर्ड वर्ल्ड कहा जाता है। इन देशों के दरमियान अमीरी-गरीबी की गहरी खाई पटी हुई है। दुनिया की आबादी का आधे से ज्यादा हिस्सा मूलभूत सुविधा से वंचित है तथा वे अभाव-कष्टों की मार झेल रहे हैं।
 
यद्यपि संयुक्त राष्ट्रसंघ, कॉमनवेल्थ, इंटरनेशनल वेलफेयर सोसायटी तथा बिल गेट्स, रॉक फेलर, वॉरेन बफे, रतन टाटा जैसे विश्व के शीर्ष उद्योगपति इन गरीब देशों को अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। आज जबकि दुनिया से सामंतवाद, उपनिवेशवाद जैसी शक्तियां समाप्त हो चुकी हैं, दुनिया के अधिकांश देशों में प्रजातंत्र है।
 
वैश्विक मंच पर सभी देशों को आपस में मिलकर वर्तमान परिस्थितियों को सुलझाते हुए सीमा विवाद, विश्वयुद्ध, आतंकवाद जैसे गंभीर मसले को जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। आज विश्व को युद्ध की नहीं, बुद्ध की आवश्यकता है।
 
सभी देश मिलकर आपस में आर्थिक असमानता को कम करें। परस्पर बढ़ते तनाव व आतंकवाद को जड़-मूल से समाप्त करने का संकल्प करें। आओ, हम सब मिलकर उस अयोध्या की दिवाली के आस्था के दीपों से परस्पर मैत्री, शांति, सद्भावना, प्रेम व सहिष्णुता के दीपों को रोशन करें। रामराज्य की कामना करें।
 
 
 

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