एमिल झेटोपेक को 20वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ धावकों में गिना जाता है। हेलसिंकी (1952) में हुए ओलिम्पिक खेलों के दौरान हैरतअंगेज प्रदर्शन ने झेटोपेक को महान धावकों की श्रेणी में खड़ा कर दिया।
इन खेलों के दौरान उन्होंने 5000 मीटर, 10000 मीटर और मैराथन के स्वर्ण अपने नाम किए। 1948 से लेकर 1954 तक लंबी दूरी की दौड़ में झेटोपेक का दबदबा रहा। इस बीच उन्होंने 10000 मीटर दौड़ की 38 स्पर्धाएं लगातार जीतीं। उन्होंने विभिन्न दूरियों की दौड़ में 18 विश्व कीर्तिमान भी स्थापित किए।
झेटोपेक को दुनिया महान एथलीट के रूप में याद करती है, लेकिन उनका सफर भी किसी कहानी की तरह रहा। चेकोस्लोवाकिया के कोप्रिविंस में 19 सितंबर 1922 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में एमिल का जन्म हुआ। मात्र 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने जूता बनाने वाली एक कंपनी में काम करना शुरू किया।
1940 में इसी कंपनी ने 1500 मीटर की दौड़ का आयोजन किया। कंपनी के बेहद सख्त खेल शिक्षक के आदेश के बाद झेटोपेक ने बेमन से दौड़ में हिस्सा लिया। करीब 100 धावकों के बीच वे दूसरे स्थान पर रहे। इस घटना के बाद उन्होंने दौड़ को गंभीरता से लेना शुरू किया। चार वर्ष बाद ही 1944 में उन्होंने दो, तीन और पांच हजार मीटर की दौड़ में चेकगणराज्य के रिकॉर्ड तोड़ दिए।
5 फुट 8 इंच लंबे और 145 पौंड वजनी इस धावक ने अपना ओलिम्पिक सफर 1948 के लंदन ओलिम्पिक से शुरू किया। तब तक उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं का बहुत कम अनुभव था। इस ओलिम्पिक की सबसे बड़ी उपलब्धि रही कि उन्हें अपनी जीवनसाथी डाना इन्ग्रोवा मिल गई। दोनों का जन्म दिनांक एक ही था। 1948 को इसी दिन दोनों विवाह बंधन में बँधे। जेवलिन थ्रो की खिलाड़ी डाना ने 1952 में स्वर्ण और 1960 में रजत पदक जीते।
लंदन ओलिम्पिक में झेटोपेक ने 10 हजार मीटर का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। जबकि पांच हजार मीटर दौड़ में वे दूसरे स्थान पर रहे। 1952 ओलिम्पिक में झेटोपेक ने जो किया उसे किसी खिलाड़ी की जीवटता की मिसाल माना जाएगा।
चिकित्सकों ने पेट में संक्रमण के कारण उन्हें स्पर्धाओं में हिस्सा नहीं लेने की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद उन्होंने आठ दिनों के अंतराल में 5 हजार मीटर, 10 हजार मीटर और मैराथन के स्वर्ण अपने नाम किए। तीनों की स्पर्धाओं में उन्होंने ओलिम्पिक रिकॉर्ड भी बनाए। सबसे खास यह कि इससे पहले वे कभी भी मैराथन में नहीं दौड़े थे।