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बिंद्रा को याद आ रहा है घर...

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बीजिंग (भाषा) , सोमवार, 11 अगस्त 2008 (23:15 IST)
ओलिम्पिक खेलों में सोमवार को भारत के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को अब घर की याद सता रही है। यह पूछने पर कि दस मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतने के बाद वह यहाँ से कहाँ जाना पसंद करेंगे तो उन्होंने कहा मैं वापस घर जाना चाहता हूँ।

चंडीगढ़ स्थित अपने घर जाने के लिए बेताब होने का कारण भी है। बीजिंग जाने से पहले जर्मनी में कई महीनों तक उन्होंने कड़ा अभ्यास किया। अभिनव को उम्मीद है कि अब देश में क्रिकेट के प्रति जुनून कम होगा।

99 फीसदी भाग्य का हाथ : अभिनव बिंद्रा का मानना है निशानेबाजी में 99 फीसदी भाग्य का हाथ होता है और केवल एक फीसदी प्रशिक्षण का। अभिनव ने कड़े प्रशिक्षण के दम पर दस मीटर एयर राइफल में जीत हासिल की। उनके प्रशिक्षण सत्र में नियमित सात घंटे निशानेबाजी और दो घंटे व्यायाम के लिए होता था।

लोकप्रियता का विचार आकर्षित करता था : भारत के ओलिम्पिक इतिहास में यह उपलब्धि हासिल करने के बाद बिंद्रा ने कहा मैं प्रसिद्धि पाना चाहता था। पंजाब के सफल व्यवसायी के पुत्र अभिनव ने 15 साल की उम्र से ही निशानेबाजी का अभ्यास शुरू कर दिया थ

उनके पिता की मजबूत आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें बेहतरीन प्रतियोगी एवं प्रशिक्षण उपकरण उपलब्ध हुए। 2004 में एथेंस ओलिम्पिक में निराशा हाथ लगने के दो साल बाद जागरेब में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पाई थी।

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