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अनंत चतुर्दशी : विष्णु पूजन का दिन

भगवान अनंत की पूजा-अर्चना

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पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे

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'ॐ विश्वं विष्णुर्वषट्‍कारो भूतभव्यभवत्प्रभु:।
भूतकृद भूवभृद भावो भूतात्मा भू‍तभावन:।।
पूतात्मा परमात्मा च मु्क्तानां परमा गति:।
अव्यय: पुरुष: साक्षी क्षेत्रज्ञोडक्षर एव च।।

ऐसे अनंत देव विष्णु भगवान जो कि अनेक नाम से पूजे जाते हैं, ऐसे ईश्वर को स्मरण करने या जाप करने का यूँ तो कोई एकमात्र निर्धारित ढंग नहीं, फिर भी किसी भी कार्य को इस ढंग से किया जाए जिससे वह सहज रूप से संपन्न हो जाए। इस कार्य में जितनी ज्यादा एकाग्रता होगी उतना ही अधिक लाभ होगा।

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करें। सर्वप्रथम विष्णु का आवहन् करें। पूजन में सर्वप्रथम आसन अर्पित करें। तत्पश्चात् पैर धोने के लिए जल अर्पित करें। अर्घ्य अर्पित‍ करें, आचमन करें, स्नान हेतु जल अर्पित करें। तिलक हेतु (चंदन) द्रव्य अर्पित करें, धूप-दीप दिखाएँ। प्रसाद करें। फिर आचमन हेतु जल अर्पित करें। तत्पश्चात् नमस्कार करें।

चतुमूर्ति चतुर्वाहुश्चतुर्ण्यहश्चतुर्गति:
चतुरात्मा चतुर्भावश्चतुर्वेदविदेकपात्।।
विश्‍व‍मूर्तिर्महामूर्तिर्दीप्त मूर्तिर‍मूर्तिमान्
अनेक मूर्तिरण्यव्यक्त: शतमूर्ति: शतानन:।।

ऐसे अनेक नामों से भगवान विष्णु को नमस्कार करें। विघ्न हरने वाले देवता विष्णु अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं एवं मनोवांछित फल दे देते हैं।

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अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत की पूजा-अर्चना अवश्‍य करना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ करने से अनन्य फल की प्राप्ति होती है एवं भगवान विष्णु की प्रसन्नता प्राप्त होती है।

भगवान की प्रार्थना अर्जुन बनकर करें अर्थात् मानसिकता और विश्‍वास लगाकर (पूर्ण रूप) उनमें लगाकर प्रार्थना करने से उनका सानिध्य प्राप्त होता है। उनका आशीर्वाद मिलता है। यदि सेवा करना है तो हनुमान जी जैसी करें। ह्रदय में पूर्ण छवि बनी रहे कृपा प्रसाद अवश्य प्राप्त होगा। अ

र्जुन ने भगवान से कहा कि मैं आपके शरण में आ गया हूँ, आप मुझे आज्ञा दे मुझे क्या करना है?

भगवन ने शरणागत आए हुए अर्जुन का पूरा जीवन सुखमय कर दिया एवं अपना ‍सानिध्य दिया। भगवान का कहना है कि जीव तू सारे धर्म को त्याग कर मेरी शरण को प्राप्त हो! मैं तुम्हें पापों से मुक्त करूँगा, तुम चिंता व्याप्त न हो। भगवान से प्रार्थना इस प्रकार करें जैसे अर्जुन ने (गीता में) की थी। अनंत चतुर्दशी में इसका बहुत बड़ा महत्व है।

पवित्राणां पवित्रं यो मङ्गलानां च मङ्गलम् ।
दैवतं देवतानां च भूतानां योऽव्ययः पिता ॥
यतः सर्वाणि भुतानि भवन्त्यादियुगागमे ।
यस्मिश्च प्रलयं यान्ति पुनरेव युगक्षये ॥
तस्य लोकप्रधानस्य जगन्नाथस्य भूपते ।
विष्णोर्नामसहस्त्रं मे श्रृणु पापभयापहम् ॥
यानि नामानि गौणानि विख्यातानि महात्मनः ।
ऋषिभिः परिगीतानि तानि वक्ष्यामि भूतये ॥
ॐ विश्वं विष्णुर्वषट्‍कारो भूतभव्यभवत्प्रभुः ।
भूतकृद्भूतभृद्भावो भूतात्मा भूतभावनः ॥
पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमा गतिः ।
अव्ययः पुरुषः साक्षी क्षेत्रज्ञोऽक्षर एव च ॥

इस प्रकार प्रभु नारायण की प्रार्थना करने से वह अवश्य प्रसन्न होकर आपको सुख, संपदा, धन-धान्य, यश-वैभव, लक्ष्मी, पुत्र आदि सारा सुख दे देते हैं।

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