कर्तव्यों का बोध कराती है श्रीमद्भगवतगीता
कर्म करो और फल की चिंता मत करो
महाभारत एक धर्मयुद्घ ही नहीं कर्तव्यगाथा भी है। इसमें गीता का ज्ञान मोह एवं अज्ञान से ग्रस्त मानव को जीवन में कर्तव्य की सर्वोच्चता का बोध करवाता है। समाज एवं देश की उन्नति के लिए सभी को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना चाहिए।
आज से लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व मार्गशीर्ष माह की शुक्ल एकादशी को महाभारत युद्ध में कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि पर अर्जुन ने हथियार डाल दिए थे और श्रीकृष्ण से कहा था कि प्रभु मेरे सामने सभी भाई-बंधु, गुरु आदि खड़े हैं और मैं इन पर वार नहीं कर सकता। मैं युद्ध से हट रहा हूं।