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छठ पूजा और कुछ रोचक तथ्य

रविवार को सप्तमी होने से बढ़ गया महत्व

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छठ पूजा एक ऐसा पर्व जिसका इंतजार सालभर रहता है। सूर्य और छठ माता की आराधना को समर्पित यह पर्व केवल पूर्वोत्तर में नहीं, बल्कि पूरे देश में मनाया जाता है। यह बात अलग है कि ग्रामीण अंचलों की अपेक्षा शहर में इसके स्वरूप में काफी अंतर है पर श्रद्धा में कहीं कोई कमी नजर नहीं आती।

गाँव में मनने वाले छठ पर्व की बात ही कुछ और होती है। वहाँ बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के मन में इस पर्व के प्रति विशेष उत्साह नजर आता है। वे यह पर्व हर साल पूरी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाते हैं। गाँव में प्राकृतिक माहौल में पूजा होती है लेकिन यहाँ सब कुछ कृत्रिम नजर आता है। इसके बावजूद जो बात समान है वह है उल्लास और उमंग। पर्व के दौरान भजन और लोकगीत का दौर जारी रहता है।

इस बार सप्तमी रविवार को आ रही है, इस वजह से पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। रविवार और कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य आराधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस बार ये दोनों ही बातें एक साथ हो रही हैं इसलिए पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।

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छठ पर्व से जुड़े कुछ रोचक तथ्यः

- यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी (चार दिन) तक मनाया जाता है।

- षष्ठी की शाम सूर्य अस्त होने से कुछ समय पूर्व ही पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यास्त के बाद लोग पानी से बाहर आते हैं।

- बिहार, नेपाल, बंगाल, असम में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है यह पर्व।

- हर धर्म के अनुयायी मनाते हैं इस पर्व को।

- सप्तमी को सूर्योदय से पूर्व ही लोग जल में खड़े हो जाते हैं तथा सूर्योदय होने पर सूर्य की पूजा की जाती है।

- पंचमी से सप्तमी तक रखा जाता है व्रत।

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