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अधिक मास मोक्ष प्राप्ति का द्वार

- मुकेश रावल

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'अनादीमाद्यं पुरुषोत्तमं श्रीकृष्णचंद्र निजभक्तं वत्सलम्‌॥
स्वं त्वं संख्यांदपति परात्परं राधा पतिं त्वां शरणं वृजाम्यह्‌म॥'

पुराणों में उल्लेख है कि अवंतिका नगरी में वैशाख मास में अधिक मास का आना महत्वपूर्ण है। इस मास में दिया गया दान 3 गुना अधिक फलदायी है। ज्योतिष शास्त्र के मान से प्रत्येक 3 वर्ष के बाद कोई से भी 2 मास एक ही नाम से मानते हैं। इसमें पहले मास की अमावस्या से दूसरे मास की अमावस्या तक अधिक मास कहलाता है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।

अधिक मास का महत्व मानने वाले अपने-अपने धर्म के मान से धार्मिक, पौराणिक, सप्तसागर यात्रा करते हैं। उज्जैन में पूर्व काल में कई ऋषि-मुनियों ने तपस्या करके उसके बल से देवताओं को अवंतिका में वास करने का आह्वान किया। इस कारण अवंतिका में महाकाल वन देवी-देवताओं से भरा पड़ा है। अनेक धर्मप्राण श्रद्धालुजन अवंतिका नगरी में वैशाख अधिक मास में कल्पवास करने आते हैं।

अधिक मास अथवा मलमास के संबंध में अनेक धारणाएँ एवं जिज्ञासाएँ विद्यमान हैं। इस वर्ष पुण्य पवित्र वैशाख मास 2 होंगे। भारतीय पंचांग काल गणना से बनने वाले हिन्दू पंचांग में 12 मास होते हैं, इन्हें चंद्रमास कहते हैं। बारह चंद्र मास मिलकर एक चंद्र वर्ष होता है और चंद्र वर्ष में कुल 355 दिवस होते हैं।

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महर्षि वशिष्ठ द्वारा की गई गणना के अनुसार 32 मास 16 दिवस 4 घंटे उपरांत एक चंद्र वर्ष आता है, जिसमें सूर्य संक्रांति नहीं होती है। वर्ष में भले ही 13 मास है, परंतु उन्हें 12 ही गिना जाता है। वर्ष में 10 दिन का अंतर आता है। 3 वर्ष में 30 दिन का अंतर हो जाता है तब अधिक मास आता है। सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करने में 365 दिन, 15 घंटे, 23 पल लगाता है।

श्रद्धालुजन पुण्य पवित्र शिप्रा स्नान कर यात्रा प्रारंभ करते हैं और अधिक मास में अधिक से अधिक दान पुण्य करते हैं। उसके बदले में सुख-शांति, पुण्य-फल, समृद्धि संतोष प्राप्त होता है। अधिक मास में सप्तसागर, नौ नारायण और चौरासी महादेव की यात्रा फलदायी बताई गई है।

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