Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जिंद पीर झूलेलाल

हमें फॉलो करें जिंद पीर झूलेलाल

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

NDND
हिंदू धर्म में भगवान झूलेलाल को उडेरोलाल, लालसाँई, अमरलाल, जिंद पीर, लालशाह आदि नाम से जाना जाता है। इन्हें जल के देवता वरुण का अवतार माना जाता है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के अन्य प्रांतों में आकर बस गए हिंदुओं में झूलेलाल को पूजने का प्रचलन ज्यादा है।

कहा जाता है कि मुस्लिम शासक मिरख शाह का सिंध प्रांत पर कब्जा हो चला था। सिंध प्रांत की हिंदू जनता उसके अत्याचारों से त्रस्त हो चुकी थी। जनता ने इस क्रूर और अत्याचारी बादशाह से मुक्ति पाने की मंशा से सिन्धु नदी के तट पर जल के देवता वरुण देव से प्रार्थना की।

जल्द ही उनकी प्रार्थना का असर हुआ और स्वयं भगवान वरुण देव मछली पर सवार होकर प्रकट हुए और उन्होंने प्रार्थनाकर्ताओं से कहा कि जल्द ही मैं अत्याचारियों का सर्वनाश करने हेतु नसीरपुर शहर में रतनराय के घर जन्म लूँगा।

भगवान झूलेलाल के रूप में वरुण देव ने ईस्वी सन्‌ 0951 अर्थात विक्रमी संवत्‌ 1007 में चैत्र माह की तृतीया को सिंध की पवित्र भूमि पर माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया। उनका बचपन का नाम उदयचंद था, लेकिन माता देवकी उदयचंद को झूलेलाल के नाम से ही पुकारती थीं।

जब क्रूर मिरख शाह को झूलेलालजी के जन्म की खबर मिली तो उसने झूलेलालजी के अपहरण हेतु अपना सैन्य बल सहित सेनापति भेजा, लेकिन बादशाह का समस्त सैन्य बल इस वरुण पुत्र की माया को देखकर भयाक्रांत हो गया।

सेनापति ने वापस लौटकर बादशाह से कहा कि वह कोई साधारण बालक न होकर मायावी है, हम उसका मुकाबला नहीं कर सकते। तब बादशाह ने झूलेलालजी को बंदी बना लेने के लिए एक बड़ा सैन्य बल भेजा लेकिन झूलेलालजी ने अपनी दिव्य शक्ति से बादशाह के महल पर आग का कहर बरपा दिया। जब महल भयानक आग से जलने लगा तो बादशाह भागकर झूलेलालजी के चरणों में गिर पड़ा।

झूलेलालजी की शक्ति से प्रभावित होकर ही मिरख शाह ने अमन का रास्ता अपनाकर बाद में कुरुक्षेत्र में एक ऐसा भव्य मंदिर बनाकर दिया, जो आज भी हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक और पवित्र स्थान माना जाता है। पाकिस्तान में झूलेलालजी को जिंद पीर और लालशाह के नाम से जाना जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi